SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 84
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पयनो. म०प० e s उद्वेगना करनारा जन्म अने मरण छ, तिर्गचनी गतिए अनेक वेदनाओ हे एमभारतो पोडत मरण हुँ Poमरीश ॥ ४६॥ ॥४२॥ नवेवणयं जम्मण मरणं ॥ मणएसु वेपणान वा ॥ एआई संन्नरंतो पंमिय मरणं मरिहामि ॥ ४ ॥ मनुष्यनी गतिमा उद्देगनां करनार जन्म अने मरण अने वेदनाओछे ए मंभारतो पोडन मरण हूं मरीश ॥ नव्वेवणयं जमण मरणं ॥ चवणं च देवलोगान॥ एआई संन्नरंतो पंमिय मरणं मरिहामि ॥ ४ ॥ उद्वेगना करनार जन्म, मरण अने देवलोकथी चव, थाय छे ए संभारतो पंडित मरण हूं मरीश ॥४८॥ इक्कं पंमिय मरणं ॥ बिंद जाइ सयाई बहुआई ।। तं मरणं मरिअव्वं ॥ जण मन सम्मन हो ॥ भए । एक पौडन मरण बहु मॅकडो गमे जन्म मरणोने छदे ने मरण मग्वं जाइए के जे माणवडे मरेलो शुभ मरणवालो होय ॥४॥ कर आ णु तं सुमरणं ॥ पंमिश्र मरणं जिणेदिं पन्नतं ॥ सुनहरि अ सल्लो पानवगन मरिहामि ॥ ५० ॥ F+PESApr+ra+++05+resNHESHSE 25-MPEnep20-stress
SR No.034177
Book TitleMurkhshatakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Hansraj Shravak
PublisherHiralal Hansraj Shravak
Publication Year1926
Total Pages154
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy