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________________ t- 5412 चारित्रादिकना ऑनचारोनी प्रतिक्रमणवडे शुद्धि न यह होय तेमनी गुमडाना ओमट मरवा अनुक्रमे आवेला पांचमा काउमा नामना आवश्यकबडे शुद्धि थाय छे ॥ ६॥ गुणधारण रुवेणं, पञ्चरकामेण तवइआरस्स ।। विरिआयारस्स पुणो, सोहिवि कीरए सोही ।। 30 गुणना धारण करता रुप पचखाणे करीं तकना अतिचारनी अने वही विर्याचारना सर्व आवश्यक कनारी शुद्धि कराय छे । गय वसह सीह अनिसे, दाम ससी दियरं ऊयं कुंनं ।। पनमसर सागर विमाण, लवण रयणुञ्चय सिद्धिं च ॥6॥ हाथी, कृषभ, सिंह, अभिषेक, माळा, चंद्रमा, मूर्य, धना, कलम, पद्ममरोरर, सागर, ( देवगतिमांथी आवेला तिर्थंकरोनी माता) विमान, अने (नरकमांथी आवेला तिथंकरोनी माता) भवन देखे, रत्ननों दगलो भने | अंग्र. ए चउद स्वप्न सर्व तिर्थंकरोनी माता तेमने गर्भमा आवतां देखे ॥ ८ ॥ अमरिंद नरिंद मुणिंद, वविध वंदिन महावीरं ।। कुसलाणुबंधि बंधुर, मश्चय कित्तइस्लामि॥॥ Sapn0424226000neer 205051-16first- s
SR No.034177
Book TitleMurkhshatakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Hansraj Shravak
PublisherHiralal Hansraj Shravak
Publication Year1926
Total Pages154
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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