SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 72
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ द्रव्यानुभव - रत्नाकर । ] [ ४१ होती, इसलिये असंख्यात प्रदेश माननेमें दूषण नहीं । कदाचित् इस समाधानले तुम्हारा सन्देह दूर न हुआ हो तो और भी सुनोकिजी तुम उस जीवको असख्यात प्रदेशवाला नहीं मानोगे और अनुवाला अर्थात् बिना अबयव वाला मानोगे तो कीड़ी (चेंटी ) कुत्थू आदिक छोटे जीव हैं बल्कि इनसे भी और सूक्ष्म जो जीव हैं उनमेंसे वो जीव निकलकर हाथी के शरीरमें जायगातो निर अवयवी होनेसे जिस हाथीके जिस देशमें वो जीव निर अवयवी रहेगा तब उस निरअबयवी जीवको उस कुल शरीरका दुःख सुखका भान न होगा, अथवा उस हाथीके शरीर में रहने वाला जीव उस कुत्थू आदिक सूक्ष्म शरीरमें वो निरअवयवी हाथी वाले शरीरका जीव उसमें क्योंकर प्रवेश करेगा, इस रीतिके दूषण होनेसे जो कि सर्बमतावलम्बी आचार्योंने अपने २ शास्त्रोंमें कथन किया है कि जीव कर्मोंके बश करके ८४ लाख योनि भोगता है, सो निरअवयवी जीव होनेसे छोटी योनि वाला जीव बड़ी योनिमें एक देशी हो जायगा और बड़ी योनिका जीव छोटी योनि में प्रवेशही न कर सकेगा, तो उन आचार्योंका कथन करना कि ८४ लाख योनियोंमें जीव फिरता है सो कथन मिथ्या हो जायगा । इसलिये हे भोले भाई जो सर्वज्ञ देव बीतराग लोकालोक प्रकाशक श्रीअरहन्त परमात्माने जो कहा है सो ही सत्य है, और वो जो असख्यात् प्रदेश हैं उन प्रदेशों में आकुचन् प्रसारन् गति स्वभाविक है जो चीज़ जिसमें स्वाभाविक होती है तिस वस्तुके स्वभावका नाश नहीं होता । ( प्रश्न ) इस तुम्हारे माननेसेतो जीव मध्यम प्रमाणी हो जायगा और उस मध्यम प्रमाणको नैयायिक, वेदान्त और मताबलम्बियोंने अनित्यमाना है और महत्व प्रमाणको अथवा अनुप्रमाणको नित्यमाना है, तब तुम्हारा माना हुआ मध्यम प्रमाण नित्य क्योंकर सिद्ध होगा । ( उरूर ) भो देवानुप्रिय, उन नैयायिक और वेदान्तियोंको पदार्थकी यथावत ख़बर नहीं थी, इन नैयायिक और वेदान्तियोंके पदार्थोंका निर्णय हमारा बनाया हुआ ग्रन्थ " स्याद्वाद अनुभवरत्नाकर" के Scanned by CamScanner
SR No.034164
Book TitleDravyanubhav Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChidanand Maharaj
PublisherJamnalal Kothari
Publication Year1978
Total Pages240
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy