SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 58
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ द्रव्यानुभव-रत्नाकर। [२७ हुआ और कहने लगा कि देखो मैंने ऐसी स्वरूपवान् स्त्रीको छोड़कर उन डांकिनोके पीछे अपने हजारों लखों रुपये बर्बाद ( नष्ट ) कर दिये और कुछ आगे पीछेका विचार न किया, खैर हुआ सो हुआ अबमैं कदापि उनके घर पर न जाउंगा, अपने घरमें जो स्त्री है उसीसे दिल लगाऊंगा, नाहक लोगोंकी बदनामी न उठाऊंगा, अपना रुपया नाहक न गमाऊंगा, पिताकी आज्ञा सिरपर उठाऊगा । इत्यादि नाना प्रकारके विचार करता हुआ अपने दुकानदारीके कार व्यवहार करता रहा। फिर जब शामका वक्त हुआ, तो उसका पिता कहने लगा कि हे पुत्र तेरा सैर करनेका वक्त हो गया अब तू जा । तब वह लड़का इस बचनको सुनकर चुप होगया ओर कुछ न बोला; थोडीसी देरके बाद फिर उस साहूकारने कहा तबभी वो लड़का न बोला, फिर थोड़ी देरके बाद तिसरी बार फिर भी उस साहूकारने अपने पुत्रसे कहा, तब वो लड़का कहने लगा कि हे पिताजी आप मेरेसे वार २ कहतेहो मेरेको शरम आती है क्योंकि उस जगहसे मेरेको ग्लानी उत्पन्न होगयी, इसलिये उस जगह जानेका मेरा चित्त कदापि न होगा, मैं उस जगह कंदापि न जऊंगा, अपनी स्वखोसे ऐस मौज उड़ाऊंगा । इस रोतिसे उस साहूकारके लड़केका वेश्यागमन छूट गया, और अपने घरके रोजगार हाल धन्धेमें निपुण होकर अपने घरका कार व्यवहार करने लगा, इसरीतिसे यह दृष्टान्त हुवा। .. - अब द्राष्टान्त कहते हैं कि जैसे उस साहूकारके लड़के को पेश्तरतो सब लोगोंने वेश्याके यहाँ जानेको मना किया परन्तु किसीका कहना उस लड़केने न माना, तब उसके पिताने विचार कर उसको मना न किया, और वेश्वाओं की बुराई दिखानेका उपाय किया था, और जब उस लड़केको उन वेश्वाओंकी बुराई बैठकर ग्लानी उत्पन्न होगई तब उसके पिताने उसको जानेकी आज्ञा भी दी परन्तु तो भी घेश्वाओंके यहाँ फिर न गया। इसीरीतिसे जो वर्तमान कालमें यथावत जैन आगमका रहस्य नहीं जानने वाले पदार्थ को ग्लानी विदुन त्याग पचखान कराते हैं वे लोग जिज्ञासुओं को विश्वास हीन करके त्याग Scanned by CamScanner
SR No.034164
Book TitleDravyanubhav Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChidanand Maharaj
PublisherJamnalal Kothari
Publication Year1978
Total Pages240
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy