SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 160
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ द्रव्यानुभव-रत्नाकर ।] [१२६ ___ और जो काई सूत्रका अर्थ गुरुमुखसे सीखे बिना और नय, निक्षेप, प्रमाण, जाने बिना अथवा निश्चय आत्मस्वरूप जाने बिना और नियुक्ति, भाष्य, चूर्णि, टीका, बिना उपदेश देते हैं, वे लोग आप तो संसारमें डुबते हैं और दूसरोंको भी डुबाते हैं, क्योंकि जो उनके पासमें बैठता हैं सो ही डूबता है। इसलिये उनका संग न करना, क्योंकि जब तक नियुक्ति आदि अथवा ब्याकरणके शब्द न जाने वो उपदेश न देय । क्योंकि श्री प्रश्नब्याकरणसूत्र और अनुयोगद्वारसूत्र में ऐसा कहा है कि “अज्झत्थं चेव सोलसम” इत्यादिक । जब तक सोलह बचन नहीं जाने, तबतक उपदेश नहीं देवे, अथवा पंचांगी समझे बिना भी उपदेश न देवे, यदुक्त श्री भगवतीपूत्र: "सुत्तत्थोखलु पढमो बीअो निउत्तिमीसोभणियो। • इत्तो तईयणुगोगो नानुन्नाश्रो जिणवरेहिं” ॥१॥ ___ इसरीतिसे कहा है तो फिर पंचांगीके बिना भी उपदेश देना मिथ्या बात है, इसलिये पंचांगीको मानना अवश्यमेव चाहिए। . अब यहां कोई बिवेकशून्य बुद्धिविचक्षण होकर बोले कि हम सूत्रके ऊपर अर्थ करते हैं तो फिर नियुक्ति और टीकाका क्या काम है ? ऐसा कहनेवाला पुरुष भी महामूर्ख और मिथ्याबादी है। क्योंकि श्री प्रश्नव्याकरणसूत्र में ऐसा कहा है कि “वयणतियं लिंगतियं” इत्यादि जाने बिना और नयनिक्षपा जाने बिना जो उपदेश देते हैं वे अवश्यमेव मृषा अर्थात् झूठ बोलते हैं। ऐसा अनेक सूत्रोंमें कहा है। इसलिये बहुश्रुत अर्थात् पण्डितके पासमें उपदेश सुनें। ऐसा श्रीउत्तराध्ययनजी में कहा है कि बहुश्रु त मेरू, अथवा समुद्र, वा कल्पवृक्ष के समान हैं। इसलिये आत्मार्थी भव्यजीव बहुश्रुतोंके पासमें उपदेश सुने। कपटी, वाचाल, मूर्ख, धूर्तीके पासमें न जाय । इस जगह इस द्रव्यनिक्षेपा की चर्चा तो बहुत है. परन्त ग्रन्थके बढ जानेके भयसे नहीं लिखते हैं। इस द्रव्यनिक्षपाके भेद दिखाते हैं। इस व्यनिक्षेपाके दो भेद है-एक तो आगमसे द्रष्यनिक्षेपा, दूसरा नोआगमसे द्रष्यनिक्षेप। Scanned by CamScanner
SR No.034164
Book TitleDravyanubhav Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChidanand Maharaj
PublisherJamnalal Kothari
Publication Year1978
Total Pages240
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy