SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 158
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अन्यानुभव-रलाकर। का अर्थ पेसा है कि-वाह्य क्रियारूप करनी अथवा जंगलमें बास से ही मुनि अर्थात् साधू नहीं होता, ज्ञानसे साधू होता है। सो उत्ताध्ययनजीमें कहा है यदिउक्त नाणेनय मुनी होई इस अनके कहनेसे मालूम होता है कि ज्ञानी है सो मुनी है, अक्षानी है सो मिथ्यात्वी है, इसलिये ज्ञान सहित जो क्रियाका करने वाला है सो हो अनि अर्थात् साधू है। अथवा कोई . गणितानुयोगसे नर्क, देवता आदिककी बोल चाल जाने अथवा यति श्रावकका आचार विचार जाने और विवेकशुन्यबुद्धिकी विचक्षणतासे कहे कि हम ज्ञानो है सो ज्ञानी नहीं,. श्रीउत्तराध्ययनजीमोक्षमार्गअध्ययनमें कहा है "एवं पंचविहंनाणं दवाणय गुणाणय पञ्जवाणयसथे सिनाणं नाणी हिदं सिय” इसरीतिसे जबतक द्रव्य, गुण, पर्यायको न जाने और जीव अजीवकी सत्ताको जाने बिना ज्ञानी नहीं है। ज्ञानी वही है जो कि नवतत्वको जाने सो समगती है, क्योंकि ज्ञान,दर्शन बिना, जो कहे कि बाह्यरूप क्रिया करनेसे. चारित्रिया अर्थात् साधू बने सो भी मृषा . वादी अर्थात् झंठा है, क्योंकि श्रोउत्तराध्ययनजी में कहा है कि “नाणं मिदंसनिस्स नाणंणणेन पिणान हुन्ति धरणा गुणा नत्थि अगुणी:यस्स मुक्खी नस्थिअमोक्खस्स निब्वाणं" इस बच्चनके कहने से जो कोई ज्ञान हीन क्रियाका आडम्बर दिखायकर भोले. जीवोंको अपने जालमें फसाते है सो जिनामाके चोर महाठग हैं। उन ठगोंका संग आत्मार्थी भन्य जीवको न करना चाहिये, क्योंकि यह वाह्य रूप करनी (क्रिया) अभव्य भी करे है। इसलिये इस वाहरूपक्रिया को देखकर उसके मिथ्या जालमें न फसना, क्योंकि आत्मस्वरूपको जाने बिना. समायिक पाकिमणा, पाखाम, आदि द्रव्यनिक्षे पामें पुण्यबन्ध अर्थात् पुण्य आभव हैं, सम्बर नहीं । कोंकि श्रीभगवती सूत्रमें कहा है कि भायाः खलुः सामाइय" इस आलाने अर्थात इस सब से जान लेना। कि जीव स्वरूप जाने बिना तप संपम, किया भाविक का करना पल पुण्याती देवसन अर्थात् देवता होने का कारण है मोक्षका गरण नही। यदिउक श्री भगवतीसूत्र... "पुलका तमेणं पुरुष संग Scanned by CamScanner
SR No.034164
Book TitleDravyanubhav Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChidanand Maharaj
PublisherJamnalal Kothari
Publication Year1978
Total Pages240
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy