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________________ • डॉ. आर. जे. विलियम (इंग्लेंड) अण्डा खाने वाले को हृदयरोग, ऐकजीमा, लकवा जैसे भयानक रोगों का शिकार हो जाना पड़ता है । डॉ. नितीन महेता (यु.के.) - प्रतिवर्ष करीब ५० लाख व्यक्ति salmonella से प्रभावित होते है | N.H.S. के अनुसार चिकन व अण्डों से हुए फूडपायज़र्निंग के शिकार रोगियों का उपचार करने में २० लाख डालर खर्च होता है । गोमांस (Beaf) से होनेवाली एक दिमागी बीमारी है creutzfelat Jacob's disease. ऑस्ट्रेलिया, जहां सर्वाधिक मांसभोजन खाया जाता है, वहां आंतो का कैंसर सब से अधिक है । रक्त वाहिनियों की भीतरी दीवारों पर कोलेस्टेरोल की तहों का जमना, यह हृदयरोग - उच्च रक्तचाप का मुख्य कारण है । कोलेस्टेरोल का सर्वाधिक प्रमुख स्रोत अण्डा है। अण्डा, मांस खाने से पेचिस, मंदाग्नि आदि बीमारियां घर कर जाती हैं, आमाशय कमजोर होता हैं व आंते सड़ जाती हैं । अण्डा, मांस खाने से शरीर की विषावरोधी शक्ति नष्ट होती है, और शरीर साधारण सी बीमारी का भी मुकाबला नहीं कर पाता । बुद्धि व स्मरणशक्ति कमजोर पड़ती है । विकास मंद हो जाता है । T शाकाहार त्वचा की रक्षा करता है । मांस, अण्डे, शराब त्वचा रोगों को बढ़ावा देते है | त्वचा में जलन महसूस होने वाले रोग के अधिकांश रोगी मांसाहारी ही पाए गए हैं। माइग्रेन, इन्फैक्शन से होनेवाले रोग, स्त्रियों के मासिक धर्म संबंधी रोग आदि भी मांसाहारियों में ही अधिक पाये जाते है । तो यह है दुनियाभर के डॉक्टर, विज्ञानी एवं आरोग्यनिष्णातो के अभिप्राय एवं अनेक सर्वेक्षणों के परिणामों का प्रामाणिक प्रतिपादन, जो वास्तव में हमारे प्राचीन शास्त्रों का ही समर्थन करतें है । हमारे शास्त्र भी यही बात करते है - हिंसा से दुःख मिलता है | अहिंसा से सुख मिलता है । योगशास्त्र में कहा है - I दीर्घमायुः परं रूप - मारोग्यं श्लाघनीयता । अहिंसायाः फलं सर्वं किमन्यत् कामदैव सा ॥ ११०
SR No.034125
Book TitleArsh Vishva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyam
PublisherAshapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar
Publication Year2018
Total Pages151
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size1 MB
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