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________________ • • • डॉ. हेग - धान्य, फल, शाक के आहार से रोग होता ही नहीं । डॉ. लीओनार्ड विलियम्स ८५ % मांसाहारी प्रजा गले की बीमारियों व आंतों की व्याधियों से दुःख पा रही है । उसका मूल कारण उनका मांसाहार ही है । प्रोफेसर कीथ - मांसाहार से दाँत, गला व नाक के दर्द उत्पन्न होते है । डॉ. पोल कार्टन - मांस की खुराक डीस्पेसिया एपेन्डी साइटीस आदि दर्दो को उत्पन्न करने में अग्रतम स्थान रखती है । टाईपोर्ड संग्रहणी इत्यादि दर्दों को बढाता है और क्षय एवं नासूर सदृश प्राणघातक दर्दों के जन्तुओं को प्रविष्ट होने में सहायक होता है । डॉ. कोझन्सबेली - पशु पक्षियों के मांस में एपेन्डी साइटीस के जन्तु होने से शरीर में रहे हुए मांस को इस रोग का चेप लगता है । डॉ. पोल कार्टन मांस की खुराक टाइफाइड जैसे रोग के विषैले जन्तुओं के बहुत ही अनुकूल I लिये - - डॉ. एच. एस. ब्रुअर - मांस खाने वालों की नसें एवं घोरी नसें भर जाती है और पतली पड जाती है । अत एव उनको कम / ज्यादा बुखार सताता रहता है । डॉ. बोन नुरडन - मांसाहार से लिवर, किडनी और ऐसे ही दुसरे भागों को अधिक बोझ होता है, और इस से सन्धिवात व लिवर तथा किडनी संबंधी अन्यान्य दर्द उत्पन्न होते है । - डॉ. पार्क सब मांस खाने से गाइड, सन्धिवात और किडनी के दर्द उत्पन्न होते है | डॉ. सेवेजे - पागलपन की बीमारी मांसभक्षी लोगों में ही विशेष पाई जाती है । डॉ. डेविड पोटर्टन - मांस को आँतो से गुज़रने में ३ से ४ दिन लग सकते है, जबकि तन्तु-समृद्ध (फायब्रस) शाकाहार २४ घंटो में ही अपनी आन्तयात्रा संपन्न कर लेता है । अतः शाकाहारी व्यक्ति पश्चिम जगत की तमाम विकारमूलक (डीजेनरेटिव्ह) बीमारियों से बच जाता है । अमरीकी फूड एन्ड न्यूट्रीशन बोर्ड - नेशनल रिसर्च कौंसिल अधिकांश पोषण विज्ञानी इस तथ्य से सहमत है कि यथोचित शाकाहार स्वयं में संपूर्ण / पर्याप्त १०८
SR No.034125
Book TitleArsh Vishva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyam
PublisherAshapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar
Publication Year2018
Total Pages151
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size1 MB
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