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________________ है और कहा है कि जिस खून के लगने से कपड़ा गंदा और अपवित्र हो जाता है, उसी रक्त को मनुष्य पीता है तो फिर उसका मन निर्मल कैसे बना रह सकता है ? जे रत लागे कापड़े, जामा होई पलीत । तेरत पीवे मानुषा, तिन क्यूं निर्मल चीत ? ॥ दारु कोई नाही खाणा । मास मछली पिआज नाही खाणा । चोरी जारी नाही करणी ॥ गुरु साहिब गुरु साहबानों ने स्पष्ट रूप से हिंसा न करने का आदेश दिया है और जब हिंसा ही मना है, तो मांस-मछली खाने का सवाल ही नहीं उठता । शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटीने गहरी खोज के बाद जो गुरु साहिब के निशान तथा हुक्म नामें पुस्तक के रूप में छपवाये है, उनमें से एक हुक्मनामा यह है हुक्म नाम नं. ११३ - जी हुक्मनामा बाबा बन्दा बहादुर मोहर फारसी देगो गो फतह नुसरत बेदरिंग याफत अज नानक गुरु गोबिन्द सिंह १ ओ फते दरसनु सिरी सचे साहिब जी दा हुक्म है सरबत खालसा जउनपुर का गुरु रखेगा...खालसे दी रहत रहणा भंग तमाकू हफीम पोस्त दारु कोई नाही खाणा मास मछली पिआज नाही खाणा चोरी जारी नाही करणी । अर्थात् मांस, मछली, पिआज, नशीले पदार्थो, शराब इत्यादि की मनाही की गई है । सभी सिख गुरुद्वाराओं में लंगर में अनिवार्यतः शाकाहार ही बनता I (८) बौद्ध धर्म - इस धर्म के पंचशील अर्थात् सदाचार के पाँच नियमों में प्रथम व प्रमुख नियम किसी प्राणी को दुःख न देना, अहिंसा ही है । धम्मपद ( पृ० २०) में कहा है . - सव्वे तसन्ति दंडस्स, सव्वे भायन्ति मच्चुनो । अत्तानं उपमं कत्वा, न हनेय्य न घातये ॥ १०२
SR No.034125
Book TitleArsh Vishva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyam
PublisherAshapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar
Publication Year2018
Total Pages151
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size1 MB
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