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बोधी बाड़ डाल ५ टिप्पणियाँ
[८] डाल गा० ४:
इसका आधार आगम का निम्न वाक्य है केवली यानि
- आचारांग २ : १५ ( चौथे महाव्रत को दूसरी भावना ) -केवली भगवान् कहते हैं- "जो निर्ग्रन्थ स्त्रियों की मनोहर इन्द्रियों का अवलोकन करता है, निध्यासन करता है, उसकी शान्ति का भंग तथा विभन्न होता है और वह कैवली प्ररूपित धर्म से भ्रष्ट हो जाता है।"
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इत्थी मनोहराई इंदियाई आलोमागे निझामाने सतिनेया सन्तिविभंगा जाव धम्माओं सेजा।"
[१] डाल गा० ६-८ :
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जब मेघ कुमार ने दीक्षा लेने का भाव प्रगट किया तब उसके माता-पिता ने कहा- "हे पुत्र । तुम्हारी भार्यााएँ सदृश शरीर, सदृश त्वचा, सदृश वय तथा सदृश लावण्य-रूप-यौवन और गुणों से युक्त हैं। तू उनके साथ मानुषिक काम भोग भोगने के बाद फिर प्रव्रज्या ग्रहण करना। यह सुनकर मेघ कुमार वोलाTRENDI
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"माणुस्सगा कामभोगा असूई असासया वंतासवा पित्तासवा खैलासवा सुक्कासवा : सोणियासवा दुरुस्सासनीसासा दुरुयमुत्तपुरिसपूयवहुपडिपुन्ना उच्चारपासवण खेलजल्ल सिंघाणगर्वतपित्तसुक्क सोणितसंभवा अधुवा अणितया असासया सडणपडणविद्धं सणधम्मा पच्छा पुरं च अवस्साविप्यजह निजा 30 wy
-ज्ञाता अ० १ पृ० ५२-५३ - अर्थात् काम-भोगों का आधार स्त्री का शरीर अपवित्र है-अशाश्वत है। वमन का नाला, पित्त का नाला, श्लेष्म का नाला, शोणित का नाला, और बुरे श्वास-निश्वास का नाला है। दुर्गन्धयुक्त मूत्र, विष्टा, पीप से परिपूर्ण है। विष्टा, मूत्र, कफ, पसीना, श्लेष्म, वमन, पित्त, शुक्र, शोणित उस में उत्पन्न होते रहते हैं। यह शरीर अध्रुव है, अनियत है, अशाश्वत है, शटन, पटन और विध्वंस स्वभाव वाला है। पहले या पीछे शरीर का अवश्य नाश होता है।
इसी तरह जब छः राजाओं ने मल्लि कुमारी को पाने के लिए महाराजा कुम्भ पर धावा बोला था तब मल्लिकुमारी ने राजाओं को बुलाकर जो उपदेश दिया वह भी प्राय इन्हीं शब्दों में था। उसने अंत में राजाओं से कहा
" मा णं सुग्ने देवाच्या मागुस्सर काममगेसु साह राह हि मुह अज्झोववजह"
[१०] डाल गा० १ का उत्तराई :
-ज्ञाता अ० ८ पृ० १५४
- मानुषिक कामभोगों की संगति मत करो, उन में राग मत करो, उसमें गृद्ध मव होओ। उनमें मोह मत करो। उनका अध्यवसायचिंतन मत करो।
स्वामीजी ने प्रस्तुत गाथाओं में जो बात कही है उसका आधार 'ज्ञात्ता धर्म सूत्र' के उपर्युक्त स्थल हैं अथवा अन्य आगमों के ऐसे ही स्थल ।
राजीमती और रथनेमि की घटना के लिए देखिए परिशिष्ट-क कथा २०
[११] डाल गाथा १० :
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रूपी राय की कथा के लिए देखिए परिशिष्ट-क कथा २१
[१२] डाल गा० ११-१२ :
एलाची पुत्र की कथा के लिए देखिए परिशिष्ट-क कथा २२
[१३] डाल गा० १३ :
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मणिरथ मदनरेखा की कथा के लिए देखिए परिशिष्ट-क कथा २३
[१४] डाल गा० १४ :
अरणक की कथा के लिए देखिए परिशिष्ट-क कथा २४
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