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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra कल्पसूत्रं कल्पलता व्या० ६ ॥ १६८ ॥ www.kobatirth.org अथ भगवतो गणधरादि-परिवारमाह पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स अट्ठ गणा अट्ठ गणहरा हुत्था, तं जहा सुभे य १ अजघोसे य २ वसिट्टे ३ बंभयारि य ४। सोमे ५ सिरिहरे ६ चेव, वीरभद्दे ७ जसेऽविय ८ ॥ १६० ॥ पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स अज्जदिण्णपामुक्खाओ सोलससमणसाहस्सीओ उक्कोसिआ समणसंपया हुत्था ॥ १६९ ॥ पायस्स णं अ० पुप्फचूलापामुक्खाओ अट्ठत्तीसं अजियासाहस्सीओ उक्कोसिआ अजियासंपया हुत्था ॥ १६२ ॥ पासस्स० सुवयपामुक्खाणं समणोवासगाणं एगा सयसाहस्सीओ चउसद्धिं च सहस्सा उक्कोसिआ समणोवासगाणं संपा था || १६३ ॥ पासस्स० सुनंदापामुक्खाणं समणोवासियाणं तिपिण सयसाह - सीओ सत्तावीसं च सहस्सा उक्कोसिआ समणोवासियाणं संपया हुत्था ॥ १६४ ॥ पासस्स० अछुट्टुसया चउदसपुवीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं सङ्घक्खर जाव चउद्दसपुवीणं संपा था || १६५ ॥ पासस्स णं० चउद्दस सया ओहिनाणीणं, दस सया केवलनाणीणं, For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गणधरादिपरिवारा ॥ १६८ ॥
SR No.034110
Book TitleKalpasutra Kalpalati Tika
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorSamaysundar Gani,
PublisherJinduttasuri Gyanbhandar
Publication Year1939
Total Pages628
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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