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________________ हजयात्रा अब्द मुबारक हज करने के लिए मक्का की यात्रा पर था। मार्ग में एक स्थान पर वह थककर सो गया और उसने स्वप्न देखा कि वह स्वर्ग में था। उसने वहां दो फरिश्तों को बातचीत करते सुना पहले फ़रिश्ते ने दूसरे से पूछा - "इस साल कितने हजयात्री मक्का आ रहे हैं ? " "छः लाख" - दूसरे फ़रिश्ते ने जवाब दिया। "और इनमें से कितनों को हजयात्रा का पुण्य मिलेगा?" "किसी को भी नहीं, लेकिन बग़दाद में अली मुफीक़ नामक एक मोची है जो हज नहीं कर रहा है फ़िर भी उसे हज का पुण्य दिया जा रहा है और उसकी करुणा के कारण यात्रा करने वाले छः लाख लोग भी थोड़ा-बहुत पुण्य कमा लेंगे" । नींद खुलने पर अब्द मुबारक सपने के बारे में सोचकर अचंभित था। वह अली मुफी की दूकान पर गया और उसने उसे अपना स्वप्न कह सुनाया। "आपके स्वप्न के बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता। मैंने तो बड़ी मुश्किल से हजयात्रा के लिए ३५० दीनार जमा किए थे। लेकिन जब मैं यात्रा के लिए निकल रहा था तभी मैंने देखा कि मेरे पड़ोसी दाने-दाने को तरस रहे थे इसलिए मैंने वह सारा धन उनमें बाँट दिया। अब मैं शायद कभी हज करने नहीं जा सकूँगा" अली मुफीक़ ने कहा । 63
SR No.034108
Book TitleZen Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNishant Mishr
PublisherNishant Mishr
Publication Year
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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