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________________ तलवारबाज़ माताजुरो याग्यु का पिता बहुत प्रसिद्द तलवारबाज़ था। पिता को यह लगता था कि उसका पुत्र कभी भी अच्छी तलवारबाजी नहीं कर पाएगा इसलिए उसने माताजुरो को घर से निकाल दिया। बेघर माताजुरो बहुत दूर एक पर्वत के पास बांज़ो नामक एक प्रसिद्द तलवारबाज़ के पास गया। बांज़ो ने उसकी तलवारबाजी देखने के बाद कहा - "तुम्हारे पिता ठीक कहते हैं। तुम तलवार चलाना कभी नहीं सीख पाओगे। मैं तुम्हें अपना शिष्य बनाकर बदनाम नहीं होना चाहता।" माताजुरो ने कहा - "लेकिन मैं यदि परिश्रम करूँ तो प्रवीण तलवारबाज़ बनने में मुझे कितना समय लगेगा?" "तुम्हारी पूरी ज़िन्दगी" - बांज़ो ने कहा। "मेरे पास इतना समय नहीं है" - माताजुरो ने उद्विग्न होकर कहा - "यदि आप मुझे सिखायेंगे तो मैं किसी भी समस्या का सामना करने के लिए तैयार हूँ। मैं आपका दास बनकर रहूँगा, फ़िर मुझे कितना समय लगेगा?" "हम्म... लगभग दस साल" - बांज़ो ने कहा। माताजुरो ने कहा - "मेरे पिता वृद्ध हो रहे हैं और मुझे उनकी देखभाल भी करनी होगी। यदि मैं और मेहनत करूँ तो फ़िर कितने साल लगेंगे?" "तीस साल" - बांजो बोला। "ऐसा कैसे हो सकता है" - माताजुरो चकित होकर बोला - "पहले आपने दस साल कहे और अब तीस साल! मुझे कम से कम समय में इस विद्या में पारंगत होना ही है!" बांज़ो बोला - "तब तो तुम्हें मेरे पास कम-से-कम सत्तर साल रहना पड़ेगा। तुम्हारी तरह जल्दबाजी करनेवाले व्यक्तियों को अच्छे परिणाम शीघ्र नहीं मिला करते।" "आप जैसा कहते हैं मैं वैसा करने को तैयार हूँ" - माताजुरो ने कहा। उसे समझ में आ गया था कि बांज़ो से बहस करने का कोई मतलब नहीं है। 163
SR No.034108
Book TitleZen Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNishant Mishr
PublisherNishant Mishr
Publication Year
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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