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________________ राजा की अंगूठी किसी ज़माने में कहीं एक राजा था जिसका राज दूर-दूर तक फैला हुआ था। अपने दरबार में उसने बहुत सारे विद्वानों को सलाहकार नियुक्त किया हुआ था। एक दिन वह कुछ सोचकर बहुत परेशान हो गया और उसने सलाह लेने के लिए विद्वानों को बुलाया। राजा ने उनसे कहा - "मुझे नहीं मालूम कि इसका मतलब क्या है... मुझे ऐसा लगता है कि कहीं कोई ऐसी अंगूठी है जिसे मैं अगर पहन लूँ तो मेरे राज्य में हर तरफ़ खुशहाली और व्यवस्था कायम हो जायेगी। मुझे ऐसी अंगूठी चाहिए। उसके मिलने पर ही मैं खुश होऊंगा। लेकिन अंगूठी ऐसी होनी चाहिए कि जब मैं खुश होऊं और उसे देखू तो मैं उदास हो जाऊं"। यह बड़ी अजीब बात थी। इसे सुनकर विद्वानों का भी सर घूम गया। वे सभी एक जगह एकत्र हो गए और उन्होंने ऐसी अंगूठी के बारे में खूब विचार-विमर्श किया। बहुत मंत्रणा करने के बाद उन्हें ऐसी एक अंगूठी बनाने का विचार आ गया जो बिल्कुल राजा के बताये अनुसार थी। उनहोंने राजा के लिए एक बेहतरीन अंगूठी बनवाई। उसपर लिखा था: "यह भी एक दिन नहीं रहेगा" 146
SR No.034108
Book TitleZen Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNishant Mishr
PublisherNishant Mishr
Publication Year
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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