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________________ ईर्ष्या का कारण एक बूढे साधू को को एक सम्राट ने अपने महल में आमंत्रित किया। "आपके पास कुछ भी नहीं है पर आपका संतोष देखकर मुझे आपसे ईर्ष्या होती है" - सम्राट ने कहा। "लेकिन आपके पास तो मुझसे भी कम है, महामहिम, इसलिए वास्तव में मुझे आपसे ईर्ष्या होती है" - साधू ने कहा। "आप ऐसा कैसे कह सकते हैं? मेरे पास तो इतना बड़ा राज्य है!" - सम्राट ने आश्चर्य से कहा। "इसी कारण से" - साधू बोला - "मेरे पास अनंत आकाश और संसार के समस्त पर्वत और नदियाँ हैं, सूर्य है और चंद्रमा है, मेरे हृदय में परमात्मा का वास है। और आपके पास केवल आपका राज्य है, महामहिम।" 145
SR No.034108
Book TitleZen Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNishant Mishr
PublisherNishant Mishr
Publication Year
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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