SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 130
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ * * * * * एक दिन लोगों ने राबिया को दौड़ते हुए देखा। उसके एक हाथ में जलती हुई टहनी थी और दूसरे हाथ में पानी का बर्तन। किसी ने पूछा - "ओ राबिया, तुम कहाँ जा रही हो और क्या कर रही हो?"| राबिया ने कहा - "मैं स्वर्ग में आग लगाने और नर्क की लपटें बुझाने जा रही हूँ। ऐसा होने पर ही तुम यह जान पाओगे कि ये दोनों भ्रम हैं और तब तुम अपना मकसद हासिल कर पाओगे। जब तुम कोई परम सुख की कामना नहीं करोगे और तुम्हारे दिल में कोई उम्मीद और डर न रह जाएगा तभी तुम ईश्वर को पा सकोगे। आज मुझे कोई भी आदमी ऐसा नहीं दिखता जो स्वर्ग की लालसा और नर्क के भय के बिना ईश्वर की आराधना केवल ईश्वर को पाने के लिए करता हो।" 129
SR No.034108
Book TitleZen Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNishant Mishr
PublisherNishant Mishr
Publication Year
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy