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________________ परमात्मा कहाँ है ? १८१ (४४) पृथ्वी, अप, तेज, वायु, आकाश, सूर्य, चंद्र और आत्मा नामके अष्ट शरीरको शिवका अधिष्ठान माननेसे भला यह अण्ट शरीर ही कैसे शिव हो सकते हैं ? और यह शिवसे भिन्न कैसे प्रतीत होंगे ? यह अष्ट शरीर सोपाधिक है न कि सत्य-शरीर निजगुरुस्वतंत्र सिद्धेश्वरलिंगकी अष्ट शरीर मूर्ति श्रीपचारिक है । टिप्पणी:-सोपाधिक =उपाधियुक्त । उपाधिका अर्थ है जो मूल में न होकर वीचमें चिपकी है । उपचार=ऊपरका अलंकार, जैसे गहने, पाभरण अथवा पोशाक। (४५) लाख खाकर जीनेवाले देवता, आगको देखते ही उसमें कूदनेवाले देवता, इन सबको क्या कहें ? समय आने पर बिक जाने वाले, इनको देवता कहना कहाँ तक उचित होगा ? डरानेसे (मांत्रिककी अोरसे धमकी दी जाने पर भूत-प्रेतादि जिस मनुष्यको कष्ट देते हैं उसको छोड़कर चले जाते हैं !) जाकर छिपनेवाले इन सवको देवता कहना कहाँ तक उचित होगा? सहज भाव, निजैक्य, स्थिर रूप, निर्विकार, निरंजन, कूडल संगमदेव एक मात्र देवता है रे ! (४६) ध्वस्त खंडहरों में, गांवके रास्ते पर, तालाव, कुंवा, पीपल, बरगद पर, गाँवके बीच शहरोंके चौराहों पर, घर बना कर बैठे हुए, तालाबके भूत, वृक्षके भूत, ब्रह्म भूत, वाणति, कुमारी, मास्ती, जटका, हिडिदुंब, तिरिदुंब वीरव्य, खेचर , गाविल, अन्तरबंतर, कालय्य, मालय्य, केतकेय, बेताल, भैरव आदि इन हजारों भूतोंके मटकोंको कूउल संगमदेवको शरण जानेका एक ही इंद्रा पर्याप्त नहीं होगा क्या रे ? । (४७) अदंबर, वट, पीरल, तुलसी, आदि वृक्षोंको देखकरके "हरिहरि" कहते हुए नमस्कार करते हो, अरे वावा ! तुम्हारा नमस्कार पानेवाले देवी देवता नब वृक्ष वन गये क्या ? तुम्हारे बर्तावमें अनाचार, है, वाणीमें शिवद्रोह है, इन सबके इस गुट्टमेंसे दूर चला गया है रे हमारा अंबिगर चौडेय । टिप्पणीः-वचनकारोंने वृक्षादिकी पूजा, भूत-प्रेतादिकी पूजा तथा अन्य अनेक प्रकार के रीति-रिवाजकी अवहेलना की है। १. प्रसता, २. सती, ३. विदुर (१) ४. पकाकर खानेवाला, ५. भटकते हुए मांगखाने बाला ६. ग्रामदेवता, गांवों में हुए किली वीरपुरुषके नाम मंदिर होते हैं। ७. एक इंडेसे जैसे मटको टूट जाते हैं. वैसे शिवकी शरण जानेले या नत्र भाग जाते हैं ! ६
SR No.034103
Book TitleSantoka Vachnamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRangnath Ramchandra Diwakar
PublisherSasta Sahitya Mandal
Publication Year1962
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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