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________________ इंद्रियों के साथ इस प्रकार से बंधन में बंधना ही सारा जगत, संसार है। स्वयं को इंद्रियों के बंधन से कैसे मुक्त करें? और एक बार तुम संवेदी अंगों के साथ बंध जाओ, तुम उनके परिप्रेक्ष्य में ही सोचेने लगते हो। तुम स्वयं को भूल जाते हो। एक और कहानी: एक शिष्य संसार को छोड़ कर अपने गुरु का अनुसरण करने की तीव्र अभीप्सा रखता था, लेकिन उसने कहा कि उसकी पत्नी और परिवार उसे इतना अधिक प्रेम करते हैं कि वह अपना घर छोड़ने में असमर्थ है। गुरु ने एक योजना बनाई। इस व्यक्ति को कुछ ऐसे यौगिक रहस्य सिखा दिए गए जिनसे देखने वालों को ऐसा प्रतीत हो कि वह मर गया है। अगले दिन उस व्यक्ति ने इन निर्देशों का पालन किया और उसकी पत्नी तथा परिवार के लोग उसके शरीर के चारों ओर एकत्रित होकर विलाप करने, शोक मनाने लगे। गुरु उनके दरवाजे पर एक जादूगर का रूप बना कर आया और उस परिवार से कहने लगा, यदि वे इस व्यक्ति को इतना ही प्रेम करते हैं तो वह उसे पुन: जीवित कर सकता है। उसने बताया अगर कोई और उसके स्थान पर मर जाए, जादूगर की यह दवा पी ले, तो वह व्यक्ति जी उठेगा। परिवार के हर सदस्य ने अपने जीवन को बचाने की आवश्यकता के उचित कारण गिना दिए, और उसकी पत्नी कहने लगी, जो कुछ भी हो, अब तो वे मर ही गए हैं, हम किसी प्रकार गुजारा कर लेंगे। इस पर वह योगी उठ खड़ा हुआ और बोला, हे नारी, अगर तुम मेरे बिना रह सकती हो, तो मैं अपने गुरु के साथ जा सकता हूं। उसने अपने गुरु की ओर देखा और कहा. अब हमें चलना चाहिए श्रीमान, आदरणीय सदगुरु, मैं आपका अनुगामी बनूंगा। इंद्रियों के साथ बन जाने वाला यह जुड़ाव इस तरह का है जैसे कि तुम इंद्रियां ही बन गए हो, जैसे कि तुम उनके बिना जी ही नहीं सकोगे, जैसे कि तुम्हारा सारा जीवन उनमें ही सिमटा हो। लेकिन तुम उन्हीं तक सीमित नहीं हो। तुम उनको त्याग सकते हो, और फिर भी तुम जीवित रह सकते हो, और एक उच्चतर तल पर जीते हो। कठिन है। जैसे कि तुम एक बीज को फुसलाना चाहो, मर जाओ ( जल्दी ही एक सुंदर पौधे का जन्म होगा। वह कैसे विश्वास कर सकता है, क्योंकि उसे तो मरना होगा। और आज तक किसी बीज ने नहीं जाना कि उसकी मृत्यु से एक नया अंकुर फूटता है, एक नया जीवन उदित होता है। इसलिए इस पर विश्वास कैसे किया जाए? या अगर तुम एक अंडे के पास जाते हो और तुम भीतर के पक्षी को राजी करना चाहते हो कि बाहर आ जाओ, लेकिन पक्षी को कैसे विश्वास आए कि अंडे के बिना भी जीवन की कोई संभावना है? या अगर तुम मां के गर्भ में बच्चे से बात करो और उसे बताओ, बाहर आ जाओ, भयभीत मत हो। लेकिन उसे तो गर्भ के बाहर का कुछ
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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