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________________ सुई तो बहुत वस्तु है, ठीक-ठीक कहां पर गिरी है यह? गली तो बहुत बड़ी है। यदि हम इस प्रकार से खोजते रहे तो सदियां लग जाएंगी। इसलिए उन्होंने पूछा, सुई ठीक किस स्थान पर गिरी थी, जिससे हम केवल उसी स्थान पर उसे खोज सकें? राबिया ने कहा यह मत पूछो, क्योंकि सुई तो भीतर मेरे घर में गिरी थी। वे सभी उठ खड़े हुए और बोले, क्या तुम पागल हो गई हो ! यदि सुई घर के भीतर गिरी है तो उसको वहीं पर खोजो ! राबिया ने कहा लेकिन वहां रोशनी नहीं है। यहा गली में अभी तक रोशनी है। सूर्य अभी तक अस्त नहीं हुआ है। समय मत गंवाओ। मदद करो, क्योंकि शीघ्र ही सूर्य अस्त हो जाएगा और गली में अंधकार हो जाएगा। ही छोटी एक ढंग से यह अतर्क्स प्रतीत होता है दूसरे ढंग से यह बहुत तर्कपूर्ण लगता है। यही तो विज्ञान कर रहा है। यह भौतिक शरीर तुम्हारा एक मात्र प्रकाशित भाग प्रतीत होता है, शेष सब कुछ तो अंधकार में है। जितनी गहराई में तुम जाते हो, उतना ही अधिक अंधकार । तुम जितनी गहराई में उतरते हो, उतना ही दिशा-बोध खोने लगता है। तुम गहराई में जाते हो, वह सभी कुछ जो स्पष्ट दिखाई दिया था, अब नहीं दिखाई पड़ता । प्रत्येक वस्तु एक चरम संशय में प्रतीत होती है। इसलिए बेहतर है कि प्रकाशित भाग पर रुको, वहीं बने रहो। स्थूल शरीर के साथ कुछ किया जा सकता है, क्योंकि शरीर को समायोजित किया जा सकता है। लेकिन इस डग से कुछ अत्यधिक मूल्यवान है जिसे खोया जा रहा है, धीरे-धीरे मानवजाति शरीर पर बहुत केंद्रित हो चुकी है और यह शरीर बस तुम्हारा बाह्य आवरण है। एक कारागृह में ऐसा हुआ, जो नाम के व्यक्ति को डकैती में शामिल होने पर बीस वर्ष के कारावास का दड मिला। कारावास की अवधि आरंभ होने के कुछ समय बाद ही उसे अपने बालों में एक पिस्सू मिला, कुछ करने के लिए था भी नहीं, तो जो ने उसको प्रशिक्षित करना आरंभ कर दिया। सबसे पहले जो ने उस पिस्सू को आदेश दिए जाने पर उछलना सिखाया, फिर क्रमश: उस पिस्सू की होशियारया और-और जटिल होती गई। प्रत्येक सप्ताह के प्रत्येक दिन लगातार अभ्यास और धैर्यपूर्वक प्रशिक्षण जारी रखा, इसलिए जब उसके जेल से छूटने का समय आया, तब तक उसने उस पिस्सू को उन कारनामों को भी करना सिखा दिया था जो नितांत अविश्सवनीय थे। जैसे ही जो कारागृह के द्वार से बाहर आया वह विश्व के विशालतम सर्कस में दौड़ कर पहुंच गया। शीघ्रतापूर्वक मैनेजर के तंबू में पहुंच कर जो ने पिस्सू को अपनी ऊपर वाली जेब से निकाला और उसे मेज पर रख दिया, जरा इसको देखिए, जो ने मैनेजर से कहा हां, मैनेजर ने कहा। और वैसे ही उसने बड़ा भारा? ऐशट्रे पिस्सू पर दे मारा। उपद्रव हैं ये कीडे, हैं न? उसने पिस्सू को मार डाला और अब बेचारे जो के पास यह सिद्ध करने का कोई उपाय ही न रहा कि उसने पिस्सू को करीब करीब आश्चर्यजनक कार्य, अविश्वसनीय कार्य करने में प्रशिक्षित कर दिया था। अब इसको सिद्ध करने का कोई उपाय न रहा । -
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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