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________________ अब तक तुमने जो कुछ भी किया है, एक दिन अचानक तुम देखोगे कि सब कुछ गलत हो चुका है तुम्हारा जीवन अब तक जिससे भी प्रेरित होता रहा हो, चाहे जिसके साथ भी तुम्हारा विवाह हुआ हो, अब तक तुम्हारी जो भी इच्छा रही हो, एक दिन तुम जागरूक हो जाओगे और देखोगे कि यह सभी जॉन स्मिथ एक मशहूर शराबी था। एक शाम को पीकर, वह शहर के कब्रिस्तान के मध्य से निकलने वाले छोटे रास्ते द्वारा रात में, घर लौट रहा था कि एक पत्थर से टकरा कर वह औंधे मुंह जमीन पर गिर पड़ा। अगली सुबह तक उसे होश नहीं आया, और जब सुबह उसकी आख खुली तो पहली चीज जो उसने देखी वह था कब का पत्थर। जॉन स्मिथ तो एक आम प्रचलित नाम है, और जिस कब पर वह लेटा हुआ था वह उसी के नाम वाले एक अन्य व्यक्ति की थी। जैसे ही उसकी निगाह में ये शब्द आए, जॉन स्मिथ की पवित्र स्मृति में, उसने बड़बड़ा कर अपने आप से कहा, अच्छा, ठीक, तो यह मेरी कब है, लेकिन मुझे अपने अंतिम संस्कार के बारे में एक जरा सी बात तक याद नहीं आ रही है। जब कोई व्यक्ति ध्यान करना आरंभ करता है, तो वह अनेक जन्मों के लंबे नशे से बाहर आ रहा होता है। पहली बार, व्यक्ति विश्वास तक नहीं कर पाता कि अब तक वह किस भांति जीता रहा है। यह एक दुख स्वप्न जैसा प्रतीत होता है-भयावह। इसीलिए लोग सजग होने का प्रयास भी नहीं करते, क्योंकि जागरूकता की पहली झलक उनके उस जीवन को छिन्न-भिन्न, विनष्ट करने जा रही है-जिसे वे अभी तक किसी अर्थ से भरा हुआ सोचते थे। उनका सारा जीवन अर्थहीन, महत्वहीन होने जा रहा है। सजगता का भय यही है कि यह तुम्हारे सारे जीवन को गलत सिद्ध कर सकती है। यही कारण है कि बेहद हिम्मतवर लोग ही ध्यान करने का, सजग होने का प्रयास करते हैं। वरना लोग बस उन्हीं इच्छाओं और उन्हीं स्वप्नों और उन्हीं विचारों के दुचक्र में घूमते चले जाते हैं, और वे बार-बार लौट कर जीवन में आते हैं और पुन: मर जाते हैं-पालने से कब तक जरा थोड़ा सा सोचना आरंभ करो, जो तुम अब तक करते रहे हो-कुछ अचेतन इच्छाओं को दोहराते रहना, कुछ ऐसा दोहराते जाना जो तुम्हें कभी आनंद नहीं देता, जो तुमको सदैव हताश करता है, उसके बारे में थोड़ा मनन करो। फिर भी तुम ऐसे जीते हो जैसे कि तुम्हें सम्मोहित कर दिया गया हो। वास्तव में योग यही कहता है कि हम एक गहरे सम्मोहन में जीते हैं। हमको किसी और ने सम्मोहित नहीं किया है, हम अपने स्वयं के मनों के दवारा सम्मोहित कर लिए गए हैं, किंतु हम एक सम्मोहन में जीते हैं। मैंने सुना है, एक शराबी लड़खडाता हुआ जैसे ही अपने घर पहुंचा, उसने अपनी ऐसी दशा को अपनी पत्नी से छिपाने के लिए अपना दिमाग दौड़ाया। अंततः उसे एक बढ़िया विचार सूझ गया, वह जाएगा और एक पुस्तक उठा लेगा।'आखिरकार' उसने सोचा 'कभी किसी पियक्कड़ को किसी ने पुस्तक पढ़ते सुना है?' अपनी योजना को मूर्तमान करते हुए वह अपने घर में चला गया, सीधा
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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