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________________ जब मैंने तुमसे बहने को कहा, तो मेरा अर्थ यह है कि तुम ब्रह्मांड के इतने छोटे सूक्ष्म अंश हो कि उसके साथ संघर्ष करने की बात ही बेतुकी है। तुम किसके साथ संघर्ष कर रहे हो? सारा संघर्ष मूलत: परमात्मा के विरुद्ध है, क्योंकि वही है तुम्हारे चारों ओर। यदि तुम धारा के विपरीत तैरने की कोशिश कर रहे हो, तुम परमात्मा के विरोध में जाने का प्रयास कर रहे हो। यदि वह नीचे सागर की ओर प्रवाहित हो रहा हो, तो उसका अनुसरण करो। जब तुम नदी के साथ बहना शुरू कर देते हो, तो तुम्हारे भीतर एक पूर्णत: भिन्न गुणवत्ता का उदय होगा। उस पार का कुछ अवतरित होगा। तुम वहां नहीं होगे, तुम बस एक खालीपन, एक विराट शून्यता, एक ग्राह्यता बन जाते हो। जब तुम संघर्ष करते हो, तो तुम सिकुड़ जाते हो। जब तुम संघर्ष करते हो, तो तुम छोटे हो जाते हो। जब तुम संघर्ष करते हो, तो तुम कठोर हो जाते हो। जब तुम संघर्ष नहीं करते-तुम समर्पण करते हो, तो जैसे कमल अपनी पंखुड़ियां खोल रहा हो इस भांति तुम खुल जाते हो, तब तुम ग्रहण करते हो। निर्भय होकर तम गतिशील हो जाते हो, जीवन के साथ गतिमान, नदी के साथ प्रवाहित होने लगते हो। तुम्हारा प्रश्न है : 'आप मुझसे बहने को कहते हैं, लेकिन मैं भयभीत हं; यदि मैंने बहना चाहा तो मैं डूब जाऊंगा।' यदि तुम डूबते हो, यह शुभ है, क्योंकि सिर्फ अहंकार ही डूब सकता है, तुम नहीं। जब तुम संघर्षरत हो, वस्तुत: तुम्हारे अंतर्तम से तुम्हारा अहंकार ही संघर्ष कर रहा होता है। तुम डूबोगे। लेकिन उस डूबने से ही तुम पहली बार बहने के योग्य होओगे, तुम्हारा बहना पहली बार तभी संभव हो सकेगा। जब तुम चुनाव करते हो तो तुम अहंकार चुन लेते हो। चुनावरहित रहो, जीवन को तुम्हारे लिए चुनाव करने दो और तुम अहंकार-शून्य हो जाओगे। तुम जब भी चुनोगे नरक ही चुनोगे। चुनाव नरक है। मत चुनो। अपने हृदय में जीसस की इस प्रार्थना को- 'तेरी मर्जी पूरी हो, तेरा राज्य आए' गूंजने दो। उसे ही तुम्हारे लिए करने दो। खुद को मिटा दो, डुबा दो, अस्तित्व के उस तल से हट जाओ, और तब अचानक तुम वही मनुष्य नहीं रहते, तुम अति मानव हो। तुम्हारा सारा: जीवन परमानंद से ओतप्रोत हो जाएगा। मैं तुमसे एक कहानी कहना चाहूंगा। एक अभागी आत्मा नरक के द्वार पर पहुंची, और शैतान ने खुद ही उसका साक्षात्कार लिया।'तुम्हें कौन से समूह में जाना पसंद आएगा?' उस पर तिरछी निगाह डालते हुए वह बोला, समूह! क्या मतलब है आपका? नवआगंतुक ने पूछा। तुम समझो,. शैतान बोला, हमारे पास यहां पर हर प्रकार की यंत्रणाएं हैं, और हम लोगों को इन्हें खुद के लिए पसंद करने की अनुमति देते हैं। हमरा विश्वास लोकतंत्र में है, और हम तानाशाही प्रवृत्ति के
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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