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________________ तुम कौन हो यह जानने के लिए ऊध्वईरता बनने का प्रयास करो। शक्ति के लिए नहीं शांति के लिए शांति को अपना लक्ष्य होने दो, शक्ति नहीं। यह अध्याय विभूतिपाद कहलाता है। विभूति का अर्थ है 'शक्ति' पतंजलि ने यह अध्याय सम्मिलित इसलिए किया कि उनके शिष्य और वे लोग जो उनका अनुसरण कर रहे हैं, उन्हें सावधान किया जा सके कि रास्ते में बहुत सी शक्तियां घट सकती हैं, किंतु उनमें तुम्हें उलझना नहीं है। एक बार तुम शक्ति में उलझे एक बार तुम शक्ति के फेर में पड़े, तुम परेशानी में पड़ जाओगे तुम उस बिंदु से बंध जाओगे और तुम्हारी उड़ान थम जाएगी और व्यक्ति को उड़ते ही जाना है, परम अंत तक, जब तक कि शून्यता न खुले और तुम ब्रह्मांडीय आत्मा में पुनः समाहित हो जाओ। शांति को होने दो तुम्हारा साध्य । आज इतना ही। प्रवचन 82 - चुनाव नरक है प्रश्न- सारः 1- ओशो, आप मुझसे बहने के लिए कहते हैं, यह कैसे संभव है? 2- मैं अनुत्तरदायी अनुभव करता हूं और उलझ जाता हूं कि संन्यास क्या है? 3 - ओशो समस्या क्या है? 4 – 'आप कहते हैं, वही गलती दुबारा मत करो, यह कैसे हो पाएगा? 5- क्या आप किसी बात को गंभीरता से नहीं ले सकते?
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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