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________________ एक बीस मिनट पुराने बच्चे ने भी कृत्रिम मन का संचय आरंभ कर दिया है। एक बीस मिनट उम्र का बच्चा भी किसी और की तुलना में अपनी मां की ओर अधिक प्रेम से देखता है, क्योंकि उसने एक तरकीब सीख ली है। मन की संस्कारिता आरंभ हो गई; वह भोजन देने वाली है, और जीवित रह पाना भोजन पर निर्भर है। इसलिए मां चाहे कितनी भी कुरूप हो, मां हमेशा सुंदर दिखाई पड़ती है। यह जीवित बच पाने का मामला है और बच्चे ने कूटनीति सीखना आरंभ कर दी है। वह पिता को देख कर उतना अधिक नहीं मुस्कुराका । वह नहीं जानता कि यह व्यक्ति कौन है। बाद में वह जाएगा। धीरे-धीरे वह देखेगा कि यह व्यक्ति महत्वपूर्ण है। दिखाई नहीं पड़ता लेकिन है महत्वपूर्ण मुश्किल से रविवारों को ही वह वहां होता है, लेकिन मां तक । उस पर निर्भर है, मां भी उसको देख कर मुस्कुराती है तब बच्चा भी पिता को देख कर मुस्कुराता है। वह कृत्रिम मन सीख रहा है वह संबंधों को निर्मित कर रहा है, अपने जीवित रहने की व्यवस्था बनाता है, एक परिस्थिति निर्मित कर रहा है- कूटनीति, राजनीति का प्रयोग कर हुए, लेकिन यह कृत्रिम मन है, जो आरंभ में जीवित रह पाने में सहायता करता है, लेकिन अंत में बड़ी से बड़ी समस्या बन जाता है। निःसंदेह वह घर में इतना अधिक जब तुम जीवित बच गए और तुमने कृत्रिम मन का उपयोग कर लिया होता है तो वह तुम्हारे आस- पास तुम्हारे गले में लटके पत्थर की भांति लटक जाता है। यह अहंकार बन जाता है। इसे सीखना पड़ता है, इसके बारे में कुछ भी नहीं किया जा सकता। प्रत्येक बच्चे को कृत्रिम मन में जाना ही पड़ेगा। लेकिन जब तुम सावधान और सजग हो जाते हो और जब तुम जीवन के बारे में सोचना और उस पर ध्यान लगाना आरंभ कर देते हो तो यह समय आ जाता है कि धीरे- धीरे इसे छोड़ दिया जाए। और अहंकार को छोड़ दो, क्योंकि अहंकार कृत्रिम मन ही है और कुछ नहीं। कृत्रिम मन का केंद्र अहंकार है और प्रत्येक कृत्रिम मन केवल तभी जारी रह सकता है जब तुम अपने अहंकार में वृद्धि करते चले जाओ। हिंदू कहेंगे कि उनके पास दुनिया का श्रेष्ठतम धर्म है, कि संसार में वे सर्वाधिक धार्मिक लोग हैं। वास्तव में यदि सच में ही धार्मिक होते तो वे ऐसी मूर्खता की बात नहीं कहते, क्योंकि एक धार्मिक मन सरल एवं विनम्र होता है। यह अहंकार है। फिर प्रत्येक देश का अपना अहंकार है। रूसी, चीनी, अमरीकन, जर्मन, अंग्रेज- प्रत्येक के पास उसका निजी अहंकार है और प्रत्येक देश यह अनुभव करता रहता है कि हम श्रेष्ठ हैं, विशिष्ट हैं। प्रत्येक देश अपने अहंकार को बढ़ाने के उपाय और साधन खोज लेता है, और यही कार्य प्रत्येक जाति, प्रत्येक समूह और प्रत्येक स्त्री तथा पुरुष द्वारा किया जाता है। मैंने सुना है, एक हाथी ने नीचे देखा और उसको अपने पैरों के पास एक छोटा सा एक बहुत छोटा चूहा दिखाई पड़ा। मेरे प्यारे, हाथी ने कहा, तुम बहुत छोटे से हो। हां, चूहे ने सहमति दर्शाते हुए कहा, अभी कुछ दिन पहले तक मेरी तबियत खराब चल रही थी। एक चूहे तक का अपना अहंकार होता है? - उसकी तबियत खराब चल रही थी, इसीलिए वह इतना छोटा है।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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