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________________ सके। और तुम्हारा सहस्रार, जो तुम्हारा खिल जाना है, तुम्हारे सिर के शीर्ष में स्थित कमल, तब तक नहीं खिलेगा जब तक कि ऊर्जा उद्वेलित न हो, जब तक कि यह इतनी अधिक अतिरेक में न हो कि यह ऊंची और ऊंची उठती जाए। उसका तल ऊपर और ऊपर उठता चला जाता है, यह दूसरे केंद्र पर पहुंचता है, फिर तीसरा केंद्र, चौथा केंद्र और जो केंद्र भी इस उद्वेलित ऊर्जा के द्वारा स्पर्शित होता है खुल जाता है, खिल जाता है। सातवां चक्र मानवता का पुष्प है : सहस्रार । सहस्र – दल – कमल, एक हजार पंखुड़ियों वाला कमल, जो केवल तब खिलेगा जब तुम ऊर्जा के अतिरेक में हो। न तो कभी दमन करो और न ही अपने अस्तित्व में अवरोध उत्पन्न करो। कभी अधिक ठोस मत हो जाओ जमो मत प्रवाहित होओ। अपनी ऊर्जा को सदैव प्रवाहमान रहने दो योग के उपायों, योगासनों का यही पूरा उद्देश्य है कि तुम्हारे अवरोध छिन्न-भिन्न हो जाएं यौगिक आसन और कुछ नहीं बल्कि उन अवरोधों को जो तुमने अपने शरीर में बना रखे हैं तोड़ने की एक प्रणाली है। अब पश्चिम में ठीक ऐसा ही घटित हुआ है। यह है रोल्फिंग, इदारोल्फद्वारास्थापित। क्योंकि पश्चिम में मन अधिक तकनीकी है, लोग अपनी चीजें स्वयं करना नहीं चाहते। वे इन्हें किसी और के द्वारा कराना चाहते है; इसीलिए रोल्फिंग कार्य रोल्फिंग करने वाला करेगा। वह तुम्हारी गहरी मालिश करेगा, और वह तुम्हारे अवरोधों को पिघलाने का प्रयास करेगा। जो पेशीतंत्र कठोर हो चुका है वह शिथिल हो जाएगा। योग के साथ भी यही किया जा सकता है, और अधिक आसानी से किया जा सकता है, क्योंकि तुम स्वयं अपने मालिक हो। अपने आंतरिक अस्तित्व को तुम अधिक उचित ढंग से बिलकुल ठीक अनुभव कर सकते हो। तुम अनुभव कर सकते हो कि तुम्हारे अवरोध कहां-कहां हैं। यदि तुम प्रतिदिन अपनी आंख बंद करो और मौन होकर बैठो तो तुम यह जान सकते हो कि कहां पर तुम्हारा शरीर असहज अनुभव कर रहा है, कहां पर तुम्हारा शरीर तनाव अनुभव कर रहा है। फिर शरीर के उस विशेष भाग को शिथिल करने के लिए योगासन हैं। वे आसन पेशी तंत्र के उस भाग को जो कठोर हो चुका है, शिथिल करने में अवरोध को विसर्जित करने में सहायक होंगे और ऊर्जा को प्रवाहित होने देंगे। किंतु एक बात निश्चित है कि दमित व्यक्ति कभी पुष्पित नहीं होता है। दमित व्यक्ति निदित और प्रतिबंधित ऊर्जा के साथ रहता है और यदि तुम अपनी ऊर्जा को ठीक दिशाओं में गति के लिए निर्देशित नहीं करोगे तो तुम्हारी ऊर्जा तुम्हारे लिए आत्मघाती और विध्वंसक हो सकती है। उदाहरण के लिए, यदि तुम्हारी ऊर्जा प्रेम की ओर नहीं जा रही है, तो वह क्रोध बन जाएगी। यह खट्टी, कड़वी हो जाएगी। जब कभी भी तुम किसी क्रोधित व्यक्ति को देखो, तो याद रहे, किसी भी प्रकार से उसकी ऊर्जा प्रेम से वंचित रह गई है। किसी तरह से वह भटक गया है, इसलिए वह क्रोधित है। वह तुम पर क्रोधित नहीं है, वह तो बस क्रोधित है। तुम भी एक बहाना हो सकते हो। वह क्रोध है ऊर्जा अवरुद्ध हो गई है और जिंदगी करीब-करीब अर्थहीन अनुभव हो रही है, इसमें कोई सार्थकता न रही, वह रोष में है ।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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