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________________ तुम पर अधिकार जमाने के लिए वापस आ जाएगी। इसलिए बस एक क्षण का भटकाव और सब कुछ खो जाता है। तपश्चर्याओं वाला व्यक्ति बेहतर कर रहा है; वह मंत्र-जाप वाले की तलना में कछ अधिक स्थाई कर रहा है-क्योंकि जब तुम जप करते हो तुम्हारी जीवनशैली अपरिवर्तित रहती है। बस तुम भीतर' अच्छापन अनुभव करते हो; एक विशेष प्रकार की सुखानुभूति। इसीलिए तो महेश योगी के भावातीत ध्यान का पश्चिम में इतना अधिक आकर्षण है, क्योंकि वे तुमसे तुम्हारी जीवनशैली बदलने के लिए नहीं कहते हैं। उनका कहना है, तुम जहां भी हो, जैसे भी हो, यह ठीक है। वे तुमसे कोई अनुशासित जीवनशैली भी नहीं चाहते हैं, बस मंत्र को दोहराओं, बीस मिनट सुबह और बीस मिनट शाम और इससे काम बन जाएगा। निःसंदेह इससे तुम्हें बेहतर निद्रा, बेहतर भूख मिल जाएगी। तुम और अधिक शांत और मौन रहोगे। उन परिस्थितियों में जब क्रोध सरलता से आ जाता था, अब यह उतना आसान न रहेगा। लेकिन तुम्हें मंत्र-जाप प्रतिदिन जारी रखना पड़ेगा। यह ध्वनि तरंगों के माध्यम से तुम्हें एक खास तरह का अंतर-स्नान दे देगा। लेकिन यह विकास में तुम्हारी सहायता नहीं कर सकेगा। तपश्चर्याएं अधिक सहायक होती हैं, क्योंकि तुम्हारा जीवन परिवर्तित होने लगता है। यदि तुम एक विशेष कार्य न करने का निश्चय करो, तो मन आग्रह करेगा कि तुम इसे कर लो। यदि तुम मन को इनकार करते चले जाओ तो तुम्हारे जीवन की सारी व्यवस्था बदल जाती है। लेकिन यह भी जबरदस्ती थोपी हुई है। वे लोग जो तपश्चर्याओं में बहुत अधिक संलग्न हैं वे अपनी गरिमा खो देते हैं, वे थोड़ा कुरूप हो जाते हैं। सतत संघर्ष और युद्ध और लगातार दमन और इनकार करते रहना उनके अस्तित्वों में बहुत गहरी दरार निर्मित कर देता है। जप करने वाले व्यक्ति या उस आदमी की तुलना में जो औषधियों से असक्त है उन्हें अधिक स्थायी झलकें मिल जाती हैं। उन्हें टिमोथी लिएरी या महेश योगी से अधिक स्थायी परिणाम मिलेंगे, लेकिन फिर भी यह एक सहज खिलावट नहीं है। अभी भी यह झेन, वास्तविक योग, तंत्र नहीं है। ......या समाधि। अब आता है चौथा, जिसे पतंजलि तुम्हें समझाने का प्रयास कर रहे हैं। संयम के माध्यम से, समाधि के माध्यम से, सभी कछ प्राप्त किया जाना है। अब तक वे जो कुछ भी समझा रहे थे वह था तुम्हारी सजगता को संयम, समाधि की ओर -लेकर आना। औषधियों वाला व्यक्ति रसायनशास्त्र के माध्यम से कार्य करता है, तपश्चर्याओं वाला व्यक्ति शरीर क्रिया वितान के माध्यम से कार्य करता है, जाप वाला व्यक्ति अपने अस्तित्व की ध्वनि-संरचना के माध्यम से कार्य करता है, किंतु वे सभी आशिक हैं। उसकी पूर्णता को उन्होंने अभी तक नहीं छुआ है। और वे सभी एक प्रकार का असंतुलन निर्मित
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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