SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 188
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ समलैंगिकता को छिपाना बहुत कठिन है तुम्हारा चेहरा, तुम्हारी आंखें, सब कुछ इसे प्रदर्शित करता है। तुम लड़कपन में रुके रहते हो। इससे होकर गुजर जाना शुभ है, लेकिन इससे आसक्त होना गलत है। फिर तीसरी अवस्था आती है, विषमलैंगिकता। लड़का लड़की में रुचि रखने लगता है, लड़की लड़के में रुचि रखने लगती है। जहां तक सेक्स जा सकता है यह उच्चतम अवस्था है, लेकिन इसकी भी एक सीमा है। यदि तुम बयालीस वर्ष के बाद भी सेक्स में रुचि रखते हो तो किसी बात से चूक रहे हो तुम। फिर तुमने इसको ढंग से नहीं जीया है, वरना जिस समय तुम बयालीस वर्ष के हो...| चौदह वर्ष की आयु में तुम वास्तव में काम संबंध में, बच्चे को जन्माने में, माता या पिता बन पाने में सक्षम हो जाते हो। तुम्हें तैयार करने में चौदह वर्ष लगते हैं। दूसरे चौदह वर्ष बाद अट्ठाइस वर्ष के आस-पास तुम अपनी कामुकता के शिखर पर होते हो। अगले चौदह वर्ष बाद, बयालीस वर्ष की आयु में तुम वापस लौटने लगते हो। वर्तुल पूरा हो गया है। जुग ने कहा है, 'चालीस वर्ष की आयु के बाद जो भी मेरे पास आता है, उसकी समस्या धार्मिक है।' यदि बयालीस वर्ष की आयु के बाद भी तुम कामवासना को लेकर परेशान हो और समस्या ग्रस्त हो, तो तुम्हारे जीवन में कही चूक हो गई है। इसके चौदह वर्ष बाद, छप्पन वर्ष की आयु में व्यक्ति काम से बस मुक्त हो जाता है। और चौदह वर्ष, छप्पन से सत्तर तक पुन: दूसरा बचपन। मृत्यु से पूर्व तुमको उसी बिंदु पर पहुंचना पड़ता है, जैसे कि तुम जन्म के समय थे, वर्तुल पूरा हो गया, बच्चे हो गए तुम। जीसस जब कहते हैं. 'जब तक कि तुम चे जैसे न हो जाओ, तम मेरे परमात्मा के राज्य में प्रवेश न कर सकोगे।' तो उनका यही अभिप्राय है। यह करीब-करीब सत्तर वर्ष का वर्तुल है। यदि तुम अस्सी वर्ष या सौ वर्ष जीते हो तो इसमें अंतर पड़ जाएगा, फिर तुम उस हिसाब से बांट सकते हो। मैं किसी बात के विरुद्ध नहीं हूं लेकिन मैं तुम्हारी किसी स्थान से चिपक जाने में सहायता भी नहीं करूंगा। चलते रहो, चलते रहो, किसी स्थान से आसक्त मत हो जाओ। अवसर का उपयोग कर लो, लेकिन रुको मत। कुछ कहानियां: एक परेशान दीख रहे व्यक्ति ने लड़खड़ाते हुए एक मनोचिकित्सक के कक्ष में प्रवेश किया और बोला डाक्टर. साहब आपको मेरी सहायता करनी होगी। प्रत्येक रात्रि मुझे स्वप्न आता है कि एक वीरान टापू पर मैं एक दर्जन सुनहरे, एक दर्जन काले और एक दर्जन लाल बालों वाली सुंदरियों, जिनमें प्रत्येक एक से बढ़ कर एक सुंदर हैं, के साथ रह रहा हूं। तुम तो संसार के सर्वाधिक भाग्यशाली व्यक्ति हो, डाक्टर ने कहा, अब मेरी मदद तुम्हें किसलिए चाहिए? मेरी समस्या, रोगी ने कहा, यह है कि स्वप्न में मैं पुष होता है।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy