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________________ डाक्टर ने कहा : निःसंदेह नहीं, मैडम, यह नितांत असंभव है। मां ने अपने छोटे से बच्चे की ओर देखा और बोली : देखो, मैंने तुमसे क्या कहा था? अब बाहर जाओ और तलाक ले लो। न केवल बच्चा विक्षिप्त है, मां भी है और मां उससे अधिक ही है। विक्षिप्त लोग विक्षिप्त बच्चों को जन्म देते हैं। अनेक बार लोग मुझसे पूछते हैं-अनुराग ने बहुत बार पूछा है-मैंने कभी उत्तर नहीं दिया-आप अपने संन्यासियों को बच्चे पैदा करने की अनुमति क्यों नहीं देते? आप डाक्टर फड़नीस को इतना अधिक कष्ट क्यों देते हैं? पहले मैं चाहूंगा कि तुम विक्षिप्तता से मुक्त हो जाओ; वरना तुम विक्षिप्त बच्चों को जन्म दोगे। यह संसार विक्षिप्तता से भरा हुआ है। कम से कम इसे बढ़ाओ मत। मेरा जनसंख्या से कोई लेना देना नहीं है; यह राजनेताओं की चिंता है। मेरी चिता है विक्षिप्तता। तुम विक्षिप्त हो, अपनी इसी विक्षिप्तता से तुम बच्चों को जन्म देते हो। वे तुम्हारे लिए भी एक उपद्रव हैं। क्योंकि तुम अपने आपसे इतना ऊबे हुए हो कि तुम्हें कुछ उपद्रव चाहिए। बच्चे सुंदर उपद्रव हैं। वे और ज्यादा परेशानियां उत्पन्न करते हैं। तुम्हारी परेशानियां पुरानी हो चुकी हैं, तुम उनसे ऊब चुके हो। तुम भी नई परेशानियां चाहोगे। पति पत्नी से ऊब गया है, पत्नी पति से ऊबी हुई है। वे चाहेंगे कि कोई उनके मध्य आकर खडा हो; एक शिशु। अनेक शादियां बच्चों के कारण बची हुई हैं। वरना वे बिखर गई होती। एक बार बच्चे हो जाएं मां बच्चों के प्रति जिम्मेवारी के बारे में सोचने लगती है, पिता बच्चों के प्रति कर्तव्य के बारे में विचारना आरंभ कर देता है। अब एक सेतु है। और माता और पिता दोनों अपनी स्वयं की समस्याओं, चिंताओं और पागलपन से बोझिल हैं। इन बच्चों को वे क्या देने जा रहे हैं? क्या है देने के लिए उनके पास? वे प्रेम के बारे में बात करते हैं, किन्तु वे हिंसक है। उनका प्रेम पहले से ही विषाक्त है, वे नहीं जानते प्रेम क्या है, और फिर प्रेम के नाम पर वे उत्पीड़न करते हैं। प्रेम के नाम पर वे बच्चों में जीवन को नष्ट करने का प्रयास करते हैं। वे उनका जीवन सांचे में डाल देते हैं। प्रेम के नाम पर वे मालकियत करते हैं, वे अधिकार जमाते हैं। और निःसंदेह बच्चे बहुत असहाय हैं, इसलिए जो तुम करना चाहते हो करो। उनको पीटो, उन्हें उस प्रकार से या उस प्रकार से ढाल दो, अपनी अतृप्त इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं को ढोने के लिए उन्हें बाध्य करो, ताकि जब तुम मर जाओ तो वे तुम्हारी महत्वाकांक्षाएं लादे होंगे और वे उसी मूढ़ता को करने के प्रयास में रहेंगे जिसे तुम करने की कोशिश कर रहे हो। मैं चाहंगा कि तुम बच्चों को जन्म दो, लेकिन पिता बनना, मां बनना इतना सरल नहीं है।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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