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________________ 'इन शक्तियों से भी अनासक्त होने से, बंधन का बीज नष्ट हो जाता है।...' पुन: बंधन में बंध जाने की यह अंतिम संभावना है। यदि तुम इसके पार जा सको तो बीज दग्ध हो जाता है। .......तब आता है कैवल्य, मोक्ष।' तभी मिलता है मोक्ष। तब तुम पूरी तरह मुक्त हो-स्वतंत्रता, परिपूर्ण स्वतंत्रता-किसी चीज से भी आसक्त नहीं और प्रेम से ओतप्रोत, समग्र अस्तित्व पर अपना प्रेम बरसाते हए.. .सारे अस्तित्व के लिए वरदान और अपने लिए आशीष। लेकिन व्यक्ति को हर कदम पर सचेत रहना पड़ता है। मन चालाक है। और तुम सोचते रह सकते हो, हां, जब चमत्कार आएंगे तो मैं उनसे आसक्त होने नहीं जा रहा हूं। दुबारा सोचो, तुम अपने भीतर कहीं एक इच्छा को सक्रिय पाओगे। उन्हें आने दो, फिर हम देखेंगे, पहले उनको आने तो दो। किसे फिकर पड़ी है कैवल्य, मोक्ष की? वे तो लक्ष्य मालूम नहीं पड़ते। बस मक्त, स्वतंत्र होने के लिए? इसमें भी कोई बात है? लोग मेरे पास आते हैं और वे कहते हैं, इस ध्यान से हमें छुटकारा कैसे मिलेगा? मैं कहता हूं और अधिक ध्यान करो। वे कहते है, किंतु बात है क्या? शांति? शांति तो सही है, लेकिन हमें इससे कौन सी असली शक्ति मिलने जा रही है? शांति लक्ष्य जैसी मालूम नहीं पड़ती। शक्ति-कुछ ऐसा जिससे तुम कुछ कर सको, कुछ ऐसा जिसके द्वारा तुम कुछ साबित कर सको। मैंने एक कहानी सुनी है, एक बहुत अच्छी कहानी। मुझे बताओ तो तुम कैथेलिक लोग कैथेड्रल्स बनाने के लिए इतना धन कहां से पा जाते हो? एक रबाई ने अपने मित्र से पूछा। अच्छा, एबी, देखो हम कैथेलिकों के पास एक व्यवस्था है जिसको कन्फेशन, पश्चात्ताप कहा जाता है। जब कभी कोई व्यक्ति कुछ गलत करता है, वह चर्च आता है, अपना पाप स्वीकार करता है, दान-पात्र में कुछ डालता है, और उसे क्षमा कर दिया जाता है, और इस उपाय से हम' धन की बड़ी राशि एकत्रित कर लेते हैं। वास्तव में, क्या आश्चर्यजनक व्यवस्था है। हम शायद अपने सिनागॉग में इसे उपयोग कर सकें। लेकिन पहले आज की रात मुझे अपने साथ आने दो ताकि तुम किस प्रकार कार्य करते हो मैं उदाहरण सहित समझ लूं।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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