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________________ तुम्हारा प्रेम समा नहीं पाता। यह अतिशय होता है, उद्वेलित होता है, उमड़ता चला जाता है। फिर यह पशुओं तक पहुँच जाता है, तो इसमें बिल्कुल ही भिन्न गुणवत्ता होती है। लेकिन मनुष्यों के साथ द्वार बंद हो, तो तुम्हें प्रेम के लिए किसी को खोजना पड़ता है, वरना तुम बहुत अधिक हताशा अनुभव करोगे, संबंध की आवश्यकता होती है, तब तुम कुत्तों, बिल्लियों से नाता जोड़ते हो। कभी-कभी यह भी असंतोषपूर्ण सिद्ध होता है, क्योंकि कुत्तों का व्यक्तित्व है, बिल्लियों का भी व्यक्तित्व होता है उनकी भी अपनी निजी विचारधारा, अपने निजी विचार होते हैं, वे अपनी चीजें करना चाहते हैं। कोई कुत्ता तुम्हारी इच्छाएं पूरी करने के लिए नहीं होता है। जब तुम कुत्ते को टहलाने ले जा रहे हो तो तुम सोच सकते हो कि तुमने कुत्ते को बस में कर लिया है, कि तुम उस कुत्ते के मालिक हो;, क्योंकि तुमने कुत्ते से कभी नहीं पूछा कि वह क्या सोचता है। वह सोचता है कि वह तुम्हारा मालिक है, और उसने इस मनुष्य को काबू में कर रखा है। मैंने कुत्तों को एक दूसरे से बात करते हुए सुना है। जब पशुओं से भी प्रेम करना कठिन हो जाता है तब लोग वस्तुओं-मकान, कार, मोटर साइकिल से प्रेम करना आरंभ कर देते हैं। और वे इन चीजों के बारे में बेहद रोमांटिक भी हो जाते हैं। मैंने एक व्यक्ति को देखा है, वह मेरे घर के ठीक सामने ही रहता था। उसे अपने स्कूटर से इतना प्रेम था कि मैंने उसे लगभग रोमांटिक ढंग से ही स्कूटर साफ करते हुए जैसे कि वह अपनी स्त्री को साफ कर रहा हो, देखा है। इधर से, उधर से देखना और इतनी प्रसन्नता अनुभव करना। और वह कभी उसका उपयोग भी न करता, क्योंकि वह गंदा हो जाएगा। वह अपनी पुरानी मोटर साइकिल पर ही सवारी करता। मैंने कई बार उससे कहा : तुम यह क्या कर रहे हो? तुम्हारे पास कितना सुंदर स्कूटर है। वह कहता, यह है, लेकिन वर्षा आने की संभावना है, आप देखते हैं, बादल छाए हुए हैं, या इस समय तेज गर्मी है, स्कूटर की चमक फीकी पड़ सकती है। नहीं मैंने उसे कभी इसका उपयोग करते नहीं देखा। वह तो बस इसे साफ करता, इसकी देखभाल करता। स्कूटर ही उसका प्रिय था। यह मानवीय चेतना का अधोगमन है। तुम जितना आसक्त होते हो उतना ही तुम निम्नस्तरीय हो जाते हो; जितनी कम आसक्ति उतना अधिक तुम उठते हो, उड़ते हो। और वहां पर वह पल आता है जिसके बारे में पतंजलि तुमसे बात कर रहे हैं, जब तुम आध्यात्मिक शक्तियों से संपन्न हो जाते हो। याद रहे, उनसे आसक्त मत हो जाना, क्योंकि वे वास्तव में सुंदर हैं, बहुत तृप्तिदायी हैं। तुम उन्हें बस में रखना पसंद करोगे। योग में बहुत से लोग योग के कारण नहीं, कैवल्य, मोक्ष के कारण नहीं, बल्कि विभूतियों, सिधियों के कारण रुचि रखते हैं। वे योग का अध्ययन करते हैं, वे गुरुओं के पास जाते हैं-वे चमत्कार करना चाहते हैं।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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