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________________ –एक कदम चलकर आगे बढ़ता है। अकस्मात संबोधि के लिए बहुत ही अदभुत साहस की आवश्यकता होती है, जो कि सभी में नहीं होता है। और अकस्मात संबोधि में बहुत जोखम भी है इसमें व्यक्ति पागल भी हो सकता है और संबुद्ध भी – हो सकता है इसमें दोनों संभावनाएं होती हैं क्योंकि वह इतनी अकस्मात होती है कि शरीर और मन की उसके लिए तैयारी नहीं होती है। तो अगर शरीर और मन की तैयारी न हो के वह व्यक्ति को पागल भी कर सकती है। इसलिए पतंजलि उसके बारे में बात नहीं करते। सच तो यह है वे इस बात पर जोर देते हैं कि संयम की उपलब्धि विकास की विभिन्न अवस्थाओं द्वारा होनी चाहिए, ताकि तुम धीरे - धीरे आगे बढ़ सको, धीरे – धीरे विकसित होते जाओ और दूसरे चरण में प्रवेश करने के पहले उसके लिए तैयार हो जाओ। पतंजलि के अनुसार जब तुमको संबोधि की घटना घटे, तो वह तुमको मूर्च्छा में न पाए। क्योंकि संबोधि इतनी विराट घटना है कि संभव है कि अगर तुम उसके लिए तैयार न हो, तो इतना गहरा सदमा लग सकता है कि उस सदमें के कारण तुम्हारी मृत्यु भी हो सकती है। या तुम पागल भी हो सकते हो – इसलिए पतंजलि इस बारे में कोई बात नहीं करते हैं, और न ही इस पर कोई विशेष ध्यान देते हैं। — यही पतंजलि और झेन के बीच अंतर है। झेन असाधारण लोगों के लिए, असामान्य लोगों के लिए है। पतंजलि नियम से चलने वाले हैं, सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी उन नियमों से चलकर संबोधि को उपलब्ध हो सकता है। अगर झेन इस दुनिया से खो भी जाए, तो भी कुछ नहीं खोएगा, क्योंकि जो थोड़े से असाधारण लोग हैं, वे तो स्वयं भी किसी न किसी तरह बुद्धत्व को उपलब्ध हो ही जाएंगे। लेकिन अगर इस दुनिया से पतंजलि खो जाएं, तो बहुत कुछ खो जाएगा, क्योंकि वे नियम बताते हैं कि कैसे बुद्धत्व को उपलब्ध होना है। पतंजलि सामान्य और साधारण लोगों के लिए हैं – सब के लिए हैं। तिलोपा छलांग ले सकते है या बोधिधर्म छलांग लगाकर अस्तित्व में विलीन हो सकते हैं। ये लोग बहुत ही साहसी हैं, जिन्हें जोखम से भरे कार्य करने में आनंद आता है, लेकिन यह सभी का मार्ग नहीं होता है। साधारण आदमी को ऊपर नीचे आने जाने के लिए सीडी की आवश्यकता होती ही है, वह बालकनी से छलांग नहीं लगा सकता। और वैसा जोखम उठाने की कोई आवश्यकता भी नहीं है, जबकि । एक- एक कदम चलते हु ही गरिमा के साथ आगे बढ़ा जा सकता है। बहु झेन का मार्ग मौज मस्ती से भरा है क्योंकि कुछ थोड़े से लोग ही अपवाद होते हैं, विरले होते है। कहाना चाहिए कि वह विशिष्ट लोगों के लिए है, असाधारण लोगों के लिए है। पतंजलि का मार्ग समतल जैसा है। इसलिए साधारण और सामान्य आदमी के लिए भी पतंजलि बहुत सहयोगी हैं।' पतंजलि कहते हैं, 'संयम को चरण-दर-चरण संयोजित करना होता है।'
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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