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________________ सम्मोहित हो सकता है, तो वे भी सम्मोहित हो सकते हैं। अब वे बचते हैं, और अपने बचाव के लिए उन्होंने एक सुरक्षा का उपाय खोज लिया है। अगर मैं दूसरे भाई का संदेह दूर कर सकता हूं –क्योंकि मैं जानता हूं कि एक अब भी मान सकता है -तब जो एक भाई बच रहेगा वह और भी अधिक सुरक्षा के उपाय खोजेगा, और फिर वह कहेगा, दो भाई तो गए काम से। और वह जो एक भाई बचा है, वह भी एक अच्छे दिल का इंसान है, उसके लिए भी संभावना है। तब तो पूरा का पूरा परिवार यही सोचेगा कि तीनों पागल हो गए हैं। इसी तरह से चीजें चलती जाती हैं। अगर तुम अपनी बात स्वीकृत नहीं करवा सकते, मनवा नहीं सकते तो तुम गलत हो, अगर तुम करवा सकते हो, तो भी तुम गलत हो। तो बहुत से लोग जो बुद्धिमान थे –उनमें पी एच. डी थे, प्रोफेसर थे, मनस्विद थे –जिनके पास प्रमाण -पत्र थे –लेकिन फिर भी न्यायालय ने उन लोगों की नहीं सुनी। उन्होंने कहा कि इन लोगों की आपस में साजिश है। यह लोग षड़यंत्रकारी हैं। पहले हमें दिखाओ कि वह ऑरगान ऊर्जा है कहा; बाक्स खोलकर हमें दिखाओ कि वह कहा है। यह तो एक साधारण सा बाक्स है, इसमें तो कुछ भी नहीं है। और तुम इसे बेच रहे हो, लोगों को धोखा दे रहे हो, उनके साथ छल-कपट और चालबाजी कर रहे हो। विलियम रेक की मृत्यु जेल में हुई। ऐसा जान पड़ता है कि मनुष्य -जाति अपने अतीत के इतिहास से कभी कुछ नहीं सीखेगी, वह उसी बात की पुनरावृत्ति बार -बार करती रहेगी। आखिर प्रेम का इतना विरोध क्यों है? क्योंकि ऑरगान ऊर्जा प्रेम ऊर्जा है। लोग जीवन के इतने विरोध में क्यों हैं? और मृत्यु के इतने पक्ष में क्यों हैं? हमारे भीतर कोई चीज ऐसी है जो विकसित नहीं हुई है। हम इतने ऊर्जा –विहीन, इतने बेजान हो गए हैं कि हमें भरोसा ही नहीं आता है कि जीवन में कुछ श्रेष्ठ संभावनाएं भी हैं। और अगर कोई उस ऊंचाई को उपलब्ध हो जाता है, तो हमें भरोसा नहीं आता कि ऐसा भी संभव हो सकता है। हमें इनकार करना ही पड़ता है। क्योंकि यह बात हमारे लिए अपमानजनक है। अगर मैं कहूं कि मैं भगवान हूं, तो यह बात तुम्हारे लिए अपमानजनक हो सकती है। मैं तो इतना ही कह रहा हूं कि तुम सब भी भगवान हो सकते हो, उससे कम पर कभी राजी मत होना। लेकिन तुम अपमानित अनुभव करने लगते हो। और ध्यान रहे हम अपनी संभावनाओं का केवल दो प्रतिशत हिस्से का ही उपयोग करते हैं; हमारी संभावनाओं का अट्ठानवे प्रतिशत हिस्सा तो व्यर्थ ही जा रहा है। यह तो ऐसे ही जैसे जीने के लिए सौ दिन मिले हों और हम केवल दो दिन जीकर ही मर गए। यहां तक कि बड़े -बड़े विचारक, चित्रकार, संगीतकार और प्रतिभाशाली लोग भी अपनी संभावनाओं का पंद्रह प्रतिशत हिस्सा ही उपयोग करते हैं।
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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