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________________ बंद कर देता था और उस बाक्स में वह रोगी को आराम करने के लिए कहता था । और एक घंटे के बाद जब व्यक्ति उससे बाहर आता, तो अपने को अधिक प्राणवान, जीवंत, रोएं - रोएं में ऊर्जा के प्रवाह को अनुभव करता था और बहुत से लोगों ने कहा भी कि ऑरगान बाक्स के साथ थोड़े से प्रयोग के । बाद उनकी बीमारिया गायब हो गईं। ऑरगान बाक्स इतना प्रभावशाली और इतना असरकारी था कि देश के कानून की फिकर किए बिना विलियम रेक ने उनको विशाल पैमाने पर बनाकर बेचना शुरू कर दिया। अंत में फूड और ड्रग विभाग वालों ने उसे पकड़ लिया, और उसे अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए कहा गया। अब इस बात को प्रमाणित करना थोड़ा कठिन है, क्योंकि ऊर्जा दिखाई तो देती नहीं है। ऊर्जा किसी को दिखायी नहीं जा सकती है। उसे तो अनुभव किया जा सकता है, और यह एक बहुत ही आंतरिक अनुभव है। अलबर्ट आइंस्टीन से किसी ने नहीं कहा इलेक्ट्रान दिखाने के लिए, लेकिन फिर भी उसकी बात पर भरोसा किया गया, क्योंकि लोगों ने हिरोशिमा और नागासाकी को देखा है। उसके परिणाम को देखा जा सकता है, कारण को नहीं देखा जा सकता। अब तक किसी ने भी अणु को नहीं देखा है, फिर भी अणु है, क्योंकि उसके परिणाम को देखा जा सकता है। बुद्ध ने सत्य को परिभाषित करते हुए कहा है कि सत्य वह है जो परिणाम ले आए। बुद्ध की सत्य की यह परिभाषा बहुत ही सुंदर है। सत्य की इतनी सुंदर परिभाषा इसके पहले और इसके बाद कभी नहीं की गई कि सत्य वह जो परिणाम ले आए। अगर परिणाम ला सके तो वह सत्य है। । किसी ने भी अणु को देखा नहीं है, लेकिन फिर भी हमें उसके अस्तित्व को हिरोशिमा और नागासाकी के कारण स्वीकार करना पड़ता है। लेकिन विलियन रेक और उसके रोगियों की बात किसी ने नहीं सुनी और ऐसे बहुत से लोग थे जो इस बात के लिए प्रमाण-पत्र देने के लिए तैयार थे कि 'हम स्वस्थ हुए हैं, 'लेकिन ऐसा ही होता है और जब कोई दृष्टिकोण सामान्य रूप से स्वीकृत हो जाता है तो लोग अंधे हो जाते हैं। उन्होंने कहा, 'ये सब लोग सम्मोहित हो गए हैं। पहली तो बात यह है कि वे बीमार ही न हुए होंगे या फिर उन्होंने इसकी कल्पना कर ली होगी कि वे स्वस्थ हो गए हैं। या फिर यह मान्यता के अतिरिक्त और कुछ नहीं है।' अब तुम हिरोशिमा और नागासाकी में मर गए लोगों के पास जाकर तो यह कह नहीं सकते कि तुम लोगों ने यह कल्पना कर ली है कि तुम मर गए हो, वे वहा हैं ही नहीं। थोड़ा इस बात को देखने की कोशिश करो जीवन की अपेक्षा मृत्यु कहीं अधिक विश्वसनीय है। और वर्तमान आधुनिक संसार जीवनोन्मुखी होने की अपेक्षा मृत्योन्मुखी अधिक है। अगर कोई व्यक्ति किसी की हत्या कर दे, तो उसकी खबर सभी अखबारों में छप जाएगी वह सुर्खियों में छा जाएगा। लेकिन अगर कोई व्यक्ति किसी में नए जीवन का संचार कर दे, तो कोई भी व्यक्ति इसे कभी नहीं
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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