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________________ कोई ऐसा कार्य नहीं कर रहा था जैसा कि एक योगी करता है। उसका कारण उसकी वैज्ञानिक दृष्टि थी। रेक ने उसी ऊर्जा से संपर्क बनाना चाहा था जिसे योगी प्राण कहते हैं, और रेक ने उसे ' ऑरगान ' कहा। यह ' ऑरगान ''लिबिडो ' से अच्छा शब्द है। क्योंकि लिबिडो शब्द से कुछ ऐसा आभास होता है जैसे काम – ऊर्जा सब कुछ है।' ऑरगान ' उससे ज्यादा अच्छा शब्द है, ज्यादा विराट है, ज्यादा व्यापक है, लिबिडो से कहीं ज्यादा बड़ा है। ऑरगान शब्द से ऐसा आभास होता है, वह ऊर्जा को यह संभावना देता है कि वह कामवासना के पार जाए और स्वयं के अस्तित्व की उन ऊंचाइयों को छु ले जो कि कामवासना नहीं है! लेकिन रेक स्वयं मुश्किल में पड़ गया, क्योंकि उसने इस बात को इतना अधिक अनुभव किया और उसने इस पर इतना अधिक ध्यान दिया कि वह प्राण ऊर्जा को, ऑरगान को डिब्बों में संचित करने लगा। उसने ऑरगान बाक्सेज बनाए। इसमें कुछ गलत नहीं है, योगी तो इस पर सदियों से काम करते आए हैं। इसीलिए योगी छोटी - छोटी गुफाओं में रहते थे। -जो बाक्स के जैसी ही होती थीं। गुफा में केवल एक छोटा सा दरवाजा होता था और कोई खिड़की या झरोखा इत्यादि नहीं होता था। अब देखने में तो वे गुफाएं स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिप्रद मालूम पड़ती हैं – और कैसे योगी उन गुफाओं में कई –कई वहाँ वर्षों तक रहते रहे? भीतर हवा जाने का कोई साधन नहीं था, क्योंकि गुफा में कहीं कोई खिड़की, झरोखे इत्यादि नहीं होते थे, क्रास वेंटिलेशन बिलकुल भी नहीं होता था। वे गुफाएं एकदम अंधेरे से, सीलन से और गंदगी से भरी होती थीं-और योगी उन गुफाओं में एकदम अच्छे से और स्वस्थ जीते थे। यह एक चमत्कार ही था। योगी वहां क्या कर रहे थे और वे कैसे वहा रह रहे थे? आधुनिक वैज्ञानिक अवधारणा के अनुसार तो उनकी मृत्यु हो जानी चाहिए थी, या फिर उन्हें रुग्ण लोगों की तरह उदास और दुखी होना चाहिए था; लेकिन योगी कभी दुखी नहीं रहे। बल्कि योगी एक सामान्य आदमी की अपेक्षा कहीं अधिक प्राण - ऊर्जा से भरे हुए ओजस्वी और तेजस्वी थे। ऐसा क्यों था? वे क्या कर रहे थे? उनके साथ क्या हो रहा था? वे ऑरगान निर्मित कर रहे थे –और ऑरगान को एक सुनिश्चित स्थान में रहने देने के लिए क्रास वेंटिलेशन, वायु की आवश्यकता नहीं होती; असल में तो क्रास वेंटिलेशन ऑरगान को एकत्रित होने ही न देगा, क्योंकि अगर वहां पर हवा होती है तो ऑरगान ऊर्जा तो घुड़सवार की तरह है –वह हवा पर सवार होकर बाहर निकल जाती है। इसलिए किसी तरह के द्वार -दरवाजों की आवश्यकता नहीं होती थी; किसी भी तरह से वाय् नहीं आनी चाहिए; तब ऑरगान की पर्तों पर पर्ते एकत्रित होती चली जाती हैं और उससे व्यक्ति का विकास होता है, और उस ऑरगान के आधार पर वह जीवित रह सकता है। विलियम रेक ने छोटे -छोटे ऑरगान बाक्सेज बनाए थे, और उनके माध्यम से उसने बहुत से त्वा लोगों की मदद भी की थी। वह रोगी से कहता था, ऑरगान बाक्स में लेट जाओ और वह बाक्स को
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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