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________________ है। अगर बर्मा की भाषा में कहना हो कि नदी है, तो बर्मा की भाषा में ऐसा नहीं कहा जा सकता। इसे ऐसे कहा जाएगा'नदी हो रही है।' और यह ठीक भी है, क्योंकि नदी कभी'है' के रूप में नहीं होती। वह हमेशा प्रक्रिया में होती है -नदी, नदी के रूप में बह रही है। नदी कोई संज्ञा नहीं है, वह क्रिया है। नदी बह रही है, नदी हो रही है। किसी भी तरह से नदी को कभी भी उसे 'है' के रूप में नहीं पा सकते। नदी को पकड़कर नहीं रखा जा सकता, वह निरंतर प्रवाहमान है –एक निरंतर प्रक्रिया है। नदी का चित्र नहीं लिया जा सकता। और अगर चित्र लिया भी तो वह चित्र झूठा होगा, क्योंकि चित्र 'है' का होगा, ठहरा हुआ होगा; और नदी कभी है नहीं होती, नदी कभी ठहरी हुई नहीं होती। बौद्ध भाषाओं का अपना एक अलग ही ढांचा है, इसलिए वे एक अलग ही तरह का मन का ढांचा बनाती हैं। और मन पर भाषा का बहुत प्रभाव पड़ता है, मन का पूरा का पूरा खेल ही भाषा के ऊपर ही चलता है। तो इसके प्रति जागरूक रहना। मैं तुम से एक कथा कहना चाहूंगा। एक बहुत ही छोटे से सूफी समुदाय में ऐसा हुआ एक बार एक महापंडित, जौ कि व्याकरण का ज्ञाता था, सूफी लोगों की सभा के निकट से गुजरा और उसने शेख को कहते हुए सुना,'इन्द्वीड, वी आर फ्रॉम हिम एंड टु हिम वी विल रिटर्न।' असल में, हम उसी से आए हैं और उसी के पास लौट जाएंगे। यह बात सुनकर उस व्याकरणविद ने अपने कपड़े फाड़ दिए और रोने -चिल्लाने लगा। उसके इस कृत्य को देखकर उसके चारों ओर लोग एकत्रित हो गए, और साथ में चकित भी थे कि आखिर उसे हआ क्या है? क्योंकि उसका धर्म की ओर कोई झकाव ही नहीं था। यह देखकर कि उस कुरान की लाइन से वह व्याकरणविद एकदम आनंदित अवस्था को उपलब्ध हो गया है, उस शेख ने फिर से कहा,'इन्दीड, वी आर फ्रॉम हिम एंड टु हिम वी विल रिटर्न।' असल में, हम उसी से आए हैं, उसी में लौट जाएंगे। और फिर से उस व्याकरणविद ने अपना कपड़ा फाड़ा, अपने पांव पर लपेटा, और कराहना और चिल्लाना शुरू कर दिया। जब सभा सर और उस व्याकरणविद के शरीर पर थोड़ा भी कपड़ा शेष न रहा, तो शेख उसे एक कोने में ले गया, उसके चेहरे पर पानी डाला और बोला,' श्रीमान, कृपया मुझे बताएं कि उस कुरान की लाइन से आपको ऐसा क्या हुआ कि आपने अपने कपड़े फाड़ डाले और रोएंचिल्लाए?
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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