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________________ व्यक्ति बुद्धत्व को उपलब्ध होता है, तो उसका पूरा संसार रूपांतरित हो जाता है। केवल तुम ही नहीं, तुम्हारा पूरा का पूरा अतीत खो जाता है। बुद्धत्व के उतरने के साथ ही सब कुछ ताजा, नहाया हुआ, नया-नया हो जाता है। अंतिम प्रश्न: भगवान पहले तो मैं यह भरोसा ही न कर सका कि ऐसा संभव भी है लेकिन किसी भांति मैने आपका अनुसरण किया लेकिन मैने यह नहीं सोचा था कि वह कभी इतनी जल्दी भी हो जाएगा लेकिन किसी भांति मैं आपके साथ जुड़ा ही रहा और फिर आपके दवारा असंभव संभव हो गया है दूरगामी प्रत्यक्षगामी हो गया है। हालांकि मैं जानता हूं कि मैने यात्रा के अभी कुछ चरण ही पूरे किए हैं आपके साथ अधिकाधिक क्षण मुझे जुड़ने के मिल रहे हैं जब कि लगता ऐसा है कि यही यात्रा का अंत है। यह बात पीड़ादायी भी है और मधुर भी है : पीड़ादायी इसलिए है क्योकि अब आप दिखायी नहीं देते हैं वहां; लेकिन साथ ही यह मधुर भी है कि आप मुझे हर कहीं अनुभव होते हैं। कहीं मैं इतना न खो जाऊं कि आपको धन्यवाद भी न कह सकू तो कृपया क्या मैं अभी आपको धन्यवाद कह सकता हूं. जबकि आप अभी मेरे लिए मौजूद हैं? पछा है स्वामी अजित सरस्वती ने। तुममें से प्रत्येक को ऐसा होने ही वाला है। तुम्हें किसी न किसी भाति' मेरे साथ होना ही पड़ेगा। यह 'किसी भांति' महत्वपूर्ण है। तुम अपने से मेरे साथ नहीं हो सकते, क्योंकि तुम्हें मालूम ही नहीं है कि तुम्हें कहां ले जाया जा रहा है। तुम सोच –विचार से, तर्क से मेरे साथ नहीं हो सकते, क्योंकि मैं तुम्हें अज्ञात में ले जा रहा हूं। मैं तुम्हें वहां ले जा रहा हूं जहां तुम कभी गए नहीं, जिसका तुम्हें कुछ पता नहीं। किसी भांति' यह शब्द सही है - किसी न किसी तरह तुम मेरे साथ हो लेते हो। प्रेम में या एक प्रकार के पागलपन में या मेरे में डूबकर तुम मेरे साथ हो जाते हो। तब धीरे-धीरे चीजें घटित होने लगती हैं। निस्संदेह, तुमने कभी विश्वास नहीं किया होगा कि यह सब इतनी जल्दी घटित हो जाएगा।
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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