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________________ सूफी फकीर ज्यादा बोलते नहीं हैं। वे परिस्थितियों का निर्माण करते हैं। वे ज्यादा कुछ कहते नहीं और परिस्थितियों के द्वारा वे सब बता देते हैं। इसलिए उस सूफी फकीर ने कहा, 'जब कभी कोई अवसर होगा, तो मैं तुम्हें उसके स्पष्ट दर्शन करा दूंगा।' कुछ समय बाद, वह सूफी फकीर और वह व्यक्ति, जिसने प्रश्न पूछा था उन्हें कुछ सिपाहियों ने रोक लिया। उन सिपाहियों ने उनसे कहा, 'हमें आज्ञा हुई है कि सभी सूफी फकीरों को जेल में बंद कर दें। क्योंकि इस देश के राजा का कहना है कि सूफी फकीर उसकी आशाओं का पालन नहीं करते और वे इस तरह की बातें करते हैं जो आम जनता के सुख -चैन के लिए अच्छी नहीं हैं। इसलिए हमें सभी सूफी फकीरों को जेल में बंद करना है।' जब कभी कोई सच्चा धार्मिक होता है, सच्चा क्रांतिकारी होता है, तो सभी राजनीतिज्ञ उससे भयभीत हो जाते हैं। क्योंकि उसकी मौजूदगी, उसकी उपस्थिति ही उन्हें विक्षिप्त और क्रुद्ध कर देने के लिए पर्याप्त होती है। उसकी मौजूदगी ही पुराने समाज को नष्ट कर देने के लिए, पुरानी शासन-व्यवस्था को मिटा देने के लिए पर्याप्त होती है। और एक नया संसार बनाने के लिए उसकी मौजूदगी, उसकी उपस्थिति ही पर्याप्त होती है। उसकी मौजूदगी तो बस माध्यम होती है। जहां तक अहंकार का संबंध है, वहां अहंकार जैसा कुछ बचता ही नहीं है, वह तो परमात्मा का माध्यम बन जाता है। जो भी शासन करने वाले लोग हैं, या चालाक लोग हैं, वे हमेशा से धार्मिक लोगों से भयभीत रहते हैं। धार्मिक लोगों से वे इसलिए भयभीत रहते हैं, क्योंकि धार्मिक आदमी से बड़ा और कोई खतरा उनके लिए नहीं हो सकता। वे क्रांतिकारियों सलिए भयभीत नहीं होते हैं, क्योंकि उनकी नीतियां, चालबाजियां एक जैसी होती हैं। वे क्रांतिकारियो से इसलिए भयभीत नहीं होते, क्योंकि वे उसी भाषा, उसी शब्दावली का उपयोग करते हैं; वे भी उनके जैसे ही लोग हैं; उनसे कुछ अलग नहीं। कभी दिल्ली जाकर राजनेताओं को देखो। वे राजनेता जो सत्ता में हैं और वे राजनेता जो सत्ता में नहीं हैं, वे सब एक जैसे ही लोग हैं। जो सत्ता में हैं वे प्रतिक्रियावादी मालम होते हैं, क्योंकि उन्हें सत्ता मिल गई होती है। अब वे किसी भी तरह से अपनी सत्ता को बचाकर रखना चाहते हैं। अब वे साम -दाम -दंड से सत्ता को अपने हाथ में रखना चाहते हैं, इसलिए वे व्यवस्था का हिस्सा जान पड़ते हैं। और वे लोग जो कि सत्ता में नहीं हैं, वे क्रांति की बातें करते हैं, क्योंकि वे उन्हें हटा देना चाहते हैं जो कि सत्ता में हैं। जब वे स्वयं सत्ता में आ जाएंगे तब वे प्रतिक्रियावादी बन जाएंगे, और वे लोग जो सत्ता में थे, जिन्हें राजसत्ता से हटा दिया गया है, वे क्रांतिकारी बन जाएंगे। एक सफल क्रांतिकारी मृत होता है, और एक शासक जिसे सत्ता से हटा दिया गया है, वह क्रांतिकारी बन जाता है। और इस तरह से ये लोगों को धोखे पर धोखा दिए चले जाते हैं। चाहे जो सत्ता में होते हैं उन्हें चुनो, या जो कि सत्ता में नहीं होते हैं उन्हें चुनो, उनमें कुछ भेद नहीं होता है। तुम एक जैसे
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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