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________________ चाहते हैं, वे उसके पास आ जाते हैं। वे दूर-दूर के देशों से चले आते हैं। वे उसके पास पहुंच जाते हैं। उसकी सुवास उन तक पहुंच जाती है। जो कोई व्यक्ति स्वयं को रूपांतरित करना चाहता है वह सूक्ष्म रास्तों से, अज्ञात तरीकों से क्रांतिकारी को खोज ही लेता है, उसे पा ही लेता है। सच्चा क्रांतिकारी स्वयं में थिर होता है, और एक शीतल जल-स्रोत की तरह उपलब्ध रहता है। और जिस व्यक्ति को भी सच्ची प्यास होती है, वह उसे खोज ही लेता है। जल-स्रोत तुम्हें खोजने के लिए नहीं जाएगा और चूंकि तुम प्यासे हो, इसलिए जल-स्रोत तुम्हें अपनी ओर खींच ही लेगा, तुम जलस्रोत तक पहुंच ही जाओगे। और अगर तुम उसकी नहीं भी सुनोगे तो भी जल-स्रोत तुम्हें अपनी ओर खींच ही लेगा। स्टैलिन लोगों की हत्या करवाई। क्रांतिकारी उतने ही हिंसात्मक होते हैं जितने कि प्रतिक्रिया करने वाले लोग होते हैं। और कई बार तो क्रांतिकारी उनसे भी ज्यादा हिंसात्मक होते हैं। कृपा करके असंभव को करने की कोशिश मत करना। बस,स्वयं को ही रूपांतरित करो। सच तो यह है, यह इतना असंभव कार्य है कि अगर इस जीवन में ही तुम स्वयं को रूपांतरित कर सको, तो तुम इस अस्तित्व के प्रति अनुग्रह से भर जाओगे। और तब तुम कह उठोगे, 'मुझे मेरी पात्रता से अधिक मिला है।' दूसरों की फिक्र मत करना। वे भी जीवित प्राणी हैं, उनके पास भी चेतना है, उनके पास भी आत्मा है। अगर वे स्वयं को रूपांतरित करना चाहें, तो उनके मार्ग में कोई बाधा नहीं डाल रहा है। ठंडे, शीतल झरने की तरह बहो। अगर वे लोग प्यासे होंगे तो वे अपने से तुम्हारे पास चले आएंगे। बस, तुम्हारी शीतलता ही उनके लिए आमंत्रण बन जाएगी, तुम्हारे जल की निर्मलता ही उनके लिए आकर्षण बन जाएगी। .....क्या मैं एक साथ क्रांतिकारी और संन्यासी हो सकता हं?' नहीं, अगर तुम संन्यासी हो तो तुम स्वयं में एक क्रांति हो, क्रांतिकारी नहीं। तुम्हें क्रांतिकारी होने की जरूरत नहीं है : अगर तुम संन्यासी हो तो तुम एक क्रांति हो ही। मैं जो कह रहा हूं उसे समझने की कोशिश करना। तब तुम लोगों को बदलने के लिए कहीं जाओगे नहीं, और न ही किसी क्रांति की आवाज बुलंद करोगे। तब तुम क्रांति की कोई योजना नहीं बनाओगे, तब तो तुम स्वयं ही क्रांति को जीने लगोगे। तब तुम्हारी जीवन-शैली ही एक क्रांति हो जाएगी। फिर जहां भी तुम्हारी आंख उठ जाएगी, या जहां कहीं भी स्पर्श हो जाएगा, वहीं क्रांति हो जाएगी तब जीवन में क्रांति श्वास की भांति सहज -स्फूर्त हो जाएगी। एक और सूफी कथा मैं तुमसे कहना चाहूंगा : एक जाने -माने सूफी फकीर से पूछा गया, ' अदृश्यता क्या है?' उस सूफी फकीर ने उत्तर दिया, 'मैं इसका उत्तर तब दूंगा जब कोई ऐसी घटना घटेगी, क्योंकि तब प्रत्यक्ष रूप से मैं तुम्हें बता सकूँगा।'
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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