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________________ जाता है। क्योंकि अहंकार दूसरों के ऊपर हंसकर बहुत प्रसन्नता अनुभव करता है। जब व्यक्ति स्वयं के ऊपर ही हंसने लगते हैं, तो फिर अहंकार का अस्तित्व नहीं रह जाता है। हां, कोई भी संबद्ध व्यक्ति कभी स्वप्न नहीं देखता है, लेकिन संबद्ध व्यक्तियों के पास विनोदप्रियता का गुण होता है। वे हंस सकते हैं, और वे दूसरों को हंसने में सहयोग भी दे सकते हैं। ऐसा हुआ कि तीन आदमी सत्य की तलाश में थे, इसलिए वे दूर -दर देशों की यात्रा कर रहे थे। उन तीनों में एक यहूदी था, दूसरा ईसाई था, और तीसरा मुसलमान था। उन तीनों में आपस में बड़ी गहरी दोस्ती थी। एक दिन उन लोगों को कहीं से एक रुपया मिल गया। उस रुपए से उन्होंने हलवा खरीद लिया। मुसलमान और ईसाई आदमियों ने तो कुछ देर पहले ही कुछ खाया था, इसलिए वे थोड़े परेशान हुए कि कहीं यह यहदी पूरा हलवा न खा जाए। उनके तो पेट भरे हए थे, उन्होंने बहत डटकर खा रखा था। इसलिए उन्होंने सुझाव दिया-उन्होंने यहूदी के विरुद्ध षड्यंत्र रचा-उन्होंने कहा, 'ऐसा करते हैं, अभी तो हम सो जाते हैं। सुबह हम अपने - अपने सपने एक -दूसरे को सुनाएंगे। उनमें से जिसका सपना सबसे अच्छा होगा वही हलवा खाएगा।' और चूंकि उनमें से दो इस बात के पक्ष में थे -तो यहदी को भी यह बात माननी पड़ी-लोकतांत्रिक ढंग से उसे भी बात माननी पड़ी और उसके पास इसके अलावा कोई उपाय भी न था। यहूदी जो कि बहुत भूखा था, उसे भूख के कारण नींद ही नहीं आ रही थी। और ऐसे समय में सोना मुश्किल भी होता है जब कि हलवा रखा हो और तुम्हें भूख लगी हो और दो आदमियों ने तुम्हारे विरुद्ध षड्यंत्र रचा हो। आधी रात वह उठा और हलवा खाकर फिर सो गया। सुबह सबसे पहले ईसाई ने अपने सपने के बारे में बताया। उसने बताया, 'मेरे सपने में क्राइस्ट आए और जब वे स्वर्ग की यात्रा कर रहे थे तो उन्होंने मुझे भी साथ ले लिया। मैंने अभी तक जितने स्वप्न देखे हैं उसमें यह सबसे दुर्लभ स्वप्न है।' मुसलमान ने कहा, 'मैंने देखा कि मुहम्मद आए और मुझे स्वर्ग के दौरे पर अपने साथ ले गए और वहा पर सुंदर-सुंदर युवतियां नाच रही थीं और शराब के चश्मे बह रहे थे -और सोने के पेडू थे और उन पर हीरों के फूल लगे हुए थे। वहां पर बड़ा अदभुत सौंदर्य बरस रहा था।' अब इसके बाद यहूदी की बारी थी। वह बोला, 'मोजेज मेरे पास आए और कहने लगे, अरे नासमझ मढ, त इंतजार किस बात का कर रहा है? तेरे एक दोस्त को तो क्राइस्ट अपने साथ स्वर्ग ले गए हैं, दूसरे का मनोरंजन स्वर्ग में मोहम्मद कर रहे हैं -कम से कम तू उठकर हलवा ही खा ले।' विनोदप्रियता धार्मिकता का ही एक अंग है, और जब कभी तुम्हें कोई धार्मिक आदमी गंभीर मिले, तो वहा से भाग जाना, क्योंकि वह गंभीर आदमी खतरनाक हो सकता है। भीतर से जरूर वह रुग्ण होगा।
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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