SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 336
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रोना मना है। तो फिर पुरुष धीरे- धीरे कठोर होता चला जाता है, हिंसा से भर जाता है, तनाव से भर जाता है। और तब अगर अडोल्फ हिटलर जैसे लोग पैदा हो जाएं तो कोई भी आश्चर्य नहीं। जिस पुरुष की आख के आंसू खो जाएं, आंसू सूख जाएं, वह एक न एक दिन अडोल्फ हिटलर बन ही जाएगा। जिस पुरुष को आख के आंसू खो गए हों, वह चंगेज खान बन ही जाएगा। तब उसमें सहानुभूति नाम की कोई चीज न बचेगी। तब वह इतना अधिक कठोर हो जाएगा कि उसमें इस बात की अनुभूति ही न बचेगी कि वह लोगों के प्रति कैसा व्यवहार कर रहा है। हिटलर ने लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया, और उसके हृदय में दुख की एक छोटी सी लहर तक न उठी। वह सच में एक पुरुष था, उसके भीतर की स्त्री तो पूरी तरह मिट ही चुकी थी-करुणा, प्रेम, यह सब तो गायब हो गए थे। उसकी आख के आंसू खो चुके थे। मैं तो चाहूंगा कि पुरुषों को भी स्त्रियों की भांति रो लेना चाहिए। क्योंकि आंसू हृदय को कोमल बना जाते हैं। वे आंसू तुम्हारे हृदय को ज्यादा तरल और सरल बना देते हैं। वे तुम्हारी चौखटों के ढांचों को पिघला देते हैं, और वे आंसू भीतर विराट आकाश उपलब्ध करा देते हैं। स्त्रियों से सरदार गुरदयाल की भांति ठहाकों वाली हंसी हंसने की भी आशा नहीं की जाती है -किसी स्त्री को जोर से हंसने की अनुमति नहीं है। जोर से हंसना स्त्री की गरिमा के खिलाफ माना जाता है। यह कैसी नासमझी है! अगर व्यक्ति को हंसने की भी स्वतंत्रता नहीं है, और वह अपनी अतल गहराई थ हंस भी नहीं सकता है, तो वह बहुत कुछ चूक जाएगा। हंसी ठीक पेट से आनी चाहिए। हंसी को इतना तीव्र होना चाहिए कि उसके साथ पूरा शरीर हिल जाए। हंसी मस्तिष्क से नहीं आनी चाहिए। लेकिन स्त्रियां तो बस मुस्कुरा देती हैं, वे हंसती ही नहीं हैं। जोर की ठहाकेदार हंसी स्त्री की गरिमा के अनुरूप नहीं मानी जाती है। इसीलिए स्त्रियां रुग्ण जीवन जीने लगती हैं। धीरे - धीरे उनका जीवन बनावटी और कृत्रिम हो जाता है; उनका जीवन सच्चा, वास्तविक और प्रामाणिक नहीं रह जाता है। सज्जन बनने की कोशिश मत करो। पूरी तरह से धार्मिक और समग्र हो जाओ। और समग्रता में सभी कुछ समाहित हो जाता है। और समग्रता में परमात्मा भी शामिल है और शैतान भी, समग्रता में दोनों ही समाविष्ट हो जाते हैं। समग्रता में कोई भेद, कोई विभाजन नहीं रह जाता है, और तब मन गिर जाता है। समग्र मनुष्य में मन नहीं रह जाता है र मन विलीन हो जाता है। अगर कोई आदमी कैथोलिक बना रहे, तो वह धार्मिक नहीं -क्योंकि उसका मन तो कैथोलिक ही बना रहेगा। अगर कोई आदमी हिंदू ही बना रहे, तो वह धार्मिक नहीं-क्योंकि उसका मन हिंदू ही बना रहेगा। अभी कुछ दिन पहले मैं पागल बाबा की एक किताब पढ़ रहा था। उनके नाम का अर्थ है 'क्रेजी डैडी' - और पागल बाबा जरूर थोड़े -बहुत तो पागल रहे ही होंगे। और वे सूफी अर्थों में पागल नहीं रहे
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy