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________________ तुरंत हाथ उस व्यक्ति की तरफ फैल जाता है। जिस क्षण तुम कहते हो, 'मैं उसे पसंद नहीं करता, तो हाथ पीछे हो जाता है। तब तुम जीवन के प्रति समग्ररूपेण खुले नहीं होते हो। परमात्मा चाहता था कि अदम पूर्ण रहे, टोटल रहे। और बाइबिल की कथा यही कहती है कि जब तक व्यक्ति अपने ज्ञान को छोड़ नहीं देगा, तब तक वह परमात्मा के बगीचे में वापस नहीं आ सकता। जीसस ने अपने ज्ञान को छोड़ दिया था। इसीलिए तो जीसस असंगत मालूम होते हैं, विरोधाभासी मालूम होते हैं। जो कुछ अदम ने परमात्मा के विपरीत किया था, जीसस ने उसे मिटा दिया, उसे जीसस ने मनुष्य जाति-की चेतना से पोंछ दिया, हटा दिया। अदम परमात्मा के बगीचे से बाहर आ गया, जीसस फिर से परमात्मा के बगीचे में प्रविष्ट हए। जीसस फिर से कैसे प्रविष्ट हो गए? मन की विभाजन करने की प्रक्रिया को मिटाकर, वे फिर से परमात्मा के बगीचे में प्रविष्ट हो गए। मन हमेशा विभाजन की प्रक्रिया के माध्यम से ही कार्य करता है। बस, मन की इस विभाजन की आदत को गिरा देना। जब किसी फूल को देखो तो मत कहना कि फूल सुंदर है। ऐसा कहने की कोई आवश्यकता भी नहीं है। तुम्हारे बिना कहे भी वह तो सुंदर रहेगा ही। ऐसा कहकर तुम कोई फूल को और अधिक सुंदर तो बना नहीं दोगे। तो फिर कहने में सार भी क्या है? लाओत्स् के विषय में एक छोटी सी कथा है। वह रोज सुबह सैर के लिए जाया करता था। जब लाओत्सु जाता था, तो एक पड़ोसी भी उसके पीछे -पीछे हो लिया करता था। वह पड़ोसी इस बात को जानता था कि लाओत्स् बात करना पसंद नहीं करता, वह स्वयं तो सदा चुप ही रहता था। लेकिन एक बार उस पड़ोसी के यहां उसका एक मित्र आया हआ था, और वह भी सबह की सैर के लिए साथ आना चाहता था। तो उसका मित्र भी उसके साथ सैर के लिए आया। लाओत्सु और लाओत्सु का पड़ोसी तो चुपचाप ही चलते रहे। लेकिन उस मित्र को चुपचाप चलने में थोड़ी अड़चन महसूस हो रही थी, लेकिन फिर भी वह किसी तरह चुप ही रहा, क्योंकि उसके मित्र ने उससे कहा था कि एकदम चप रहना। जब वे सैर के लिए जा रहे थे, उस समय सर्योदय हो रहा था और बहुत ही सुंदर सुबह थी। वह मित्र यह सब देखकर चुप रहना भूल गया और बोला, वाह, कितनी सुंदर सुबह है। केवल उसने इतना ही कहा। दोनों में से किसी ने कोई प्रत्युत्तर नहीं दिया-न तो उसका मित्र कुछ बोला और न ही लाओत्सु ने कुछ कहा। घर वापस आकर लाओत्सु ने अपने पड़ोसी से कहा, 'इस आदमी को फिर से कभी अपने साथ, मत लाना। यह बहुत ही बातूनी आदमी है।' बहुत ही बातूनी?
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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