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________________ एक बार ऐसा हुआ कि तीन चोरों ने गधे पर सवार एक आदमी को नगर में प्रवेश करते हुए देखा। गधे के पीछे -पीछे एक बकरी भी चल रही थी। उस बकरी की गर्दन में बंधी हुई घंटी बज रही थी। उनमें से एक चोर ने गर्व के साथ कहा, 'मैं तो उसकी बकरी चुरा लूंगा।' दूसरा चोर बोला, 'इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। मैं तो उस गधे की ही चोरी कर लूंगा जिस पर वह सवार है। ' इस पर तीसरा चोर कहने लगा, जो कपड़े वह पहने हुए हैं, मैं तो उन्हें ही चुरा लूंगा।' पहला चोर उस आदमी के पीछे-पीछे चलने लगा और जैसे ही सड़क का मोड़ आया, वह गधे की पूंछ में घंटी बांधकर बकरी को चुराकर ले गया। चूंकि घंटी बज रही थी तो उस ग्रामीण ने सोचा कि बकरी पीछे -पीछे आ रही है। वह जो दूसरा चोर था, जो दूसरे मोड़ पर खड़ा उसकी प्रतीक्षा कर रहा था, वह उस आदमी के सामने आकर खड़ा हो गया और बोला, 'वाह! क्या नया रिवाज आया है? गधे की पूंछ में घंटी बंधी हुई है?' उस आदमी ने पीछे मुड़कर देखा और आश्चर्य के साथ बोला, मेरी बकरी कहां गायब हो गई!' उस चोर ने कहा, ' अभी - अभी मैंने सड़क पर एक आदमी को बकरी के साथ जाते हु देखा था।' . 'तो क्या आप मेरे गधे का खयाल रखेंगे, ऐसा कहकर वह ग्रामीण आदमी अपनी बकरी लेने के लिए भागा ।' तब तक वह दूसरा चोर भी गधे पर बैठकर भाग निकला। उस बेचारे ने बड़ी देर तक बकरी चुराने वाले चोर की तलाश की, लेकिन उसकी कोशिश बेकार गयी । उसे बकरी कहीं दिखायी न पड़ी जब उसे बकरी न मिल सकी, तो वह अपना गधा लेने के लिए वापस आया। वहां आकर वह देखता है कि उसका गधा भी गायब है। अंत में जब वह दुखी और परेशान होकर जा रहा था कि थोड़ी देर बाद ही अचानक उसे राह के किनारे एक कुएं के पास बैठा हुआ एक आदमी रोता हुआ दिखाई पड़ा। उसने उस आदमी से पूछा, तुम्हारे साथ क्या हुआ है? मेरी बकरी और मेरा गया तो कोई चुराकर ले गया है, लेकिन तुम क्यों इस तरह से रो चिल्ला रहे हो? यह पूछने पर वह तीसरा चोर बोला, मेरे पास एक छोटी सी तिजोरी थी जो कुएं में गिर गयी है। मुझे कुएं के अंदर उतरने में बहुत भय लग रहा है। अगर तुम वह तिजोरी निकालकर ला दो, तो हम दोनों उस धन को आधा आधा बांट लेंगे।'
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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