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________________ धन ने किया है। तुम्हारी दृष्टि से पूरा ओझल हो गया है, इस कारण तुम केवल अपने ही विषय में सोचते हो, और स्वयं को ही देखते हो।' उस धनी आदमी ने अपना सिर झुका लिया। वह बोला, ' आप ठीक कहते हैं। मुझे सोने -चांदी ने अंधा बना दिया था।' तो सभी तरह की शक्तियां हमें अंधा बना देती हैं। फिर चाहे वह सोना हो या चांदी हो, या चाहे फिर वह आत्मिक शक्ति हो, कुछ भी हो, सभी शक्तियां हमें अंधा बना देती हैं। तब हम केवल अपने ही स्वार्थ देखते हैं। इसीलिए पतंजलि का जोर इस बात पर है कि जैसे ही संयम उपलब्ध हो, तत्कण मैत्री और प्रेम का आविर्भाव होने देना। संयम के बाद पहली बात प्रेम का आविर्भाव होने देना जिससे संपूर्ण ऊर्जा प्रेम का प्रवाह बन जाए, बाटने का उत्सव बन जाए। तो फिर जो कुछ भी हो तुम्हारे पास, तुम उसे बांटते चले जाना। तब किसी भी प्रकार की शक्ति के गलत उपयोग की कोई संभावना ही नहीं रह जाएगी। छठवां प्रश्न: भगवान एक शराबी की दूसरे से गुफ्तगू आपकी शराब सबसे मधुर और मीठी है। यह प्रश्न है पूर्णिमा का। मुझे केवल एक ही बात कहनी है पूर्णिमा, मैंने तो तुझे सिर्फ एपीटाइजर ही दिया है। शराब तो अभी प्रतीक्षा ही कर रही है -तैयार हो जाओ। एपीटाइजर से ही नशे में मत डूब जाना। जो कुछ मैं तुमसे कह रहा हूं वह तो केवल एपीटाइजर है। अंतिम प्रश्न: प्यारे भगवान क्या कभी आप झूठ बोलते हैं?
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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