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________________ अगर व्यक्ति 'निरोध' पर एकाग्र होता है, दो विचारों के बीच के अंतराल पर एकाग्र होता है, और अगर उन अंतरालों को जोड़ता चला जाए, उन अंतरालों का संग्रह करता चला जाए तो इसे ही पतंजलि 'समाधि' कहते हैं। और तब एक ऐसी स्थिति आती है जब व्यक्ति एक हो जाता है – एकाग्र हो जाता है। एकाग्रता - अगर यह स्थिति घटित हो जाती है. तो अतीत और भविष्य का ज्ञान होने लगता है। अगर व्यक्ति भविष्य के बारे में जानता हो, तो बाह्य संसार के लिए यह अवश्य एक चमत्कारिक बात हो जाएगी। लेकिन इसमें किसी प्रकार का कोई चमत्कार नहीं है। पश्चिम के एक बहुत ही अनूठे और विरले आदमी, स्विडनबर्ग के बारे में एक रिकार्ड मिला है। उसने एक प्रसिद्ध पादरी, वैसले को पत्र लिखा था और पत्र में उसने लिखा था 'अध्यात्म के जगत में मैंने एक उड़ती हुई खबर सुनी है कि आप मुझ से मिलना चाहते हैं।' वैसले तो बड़ा हैरान हुआ, क्योंकि वह स्विडनबर्ग से मिलने के लिए सोच ही रहा था, लेकिन उसने यह बात किसी से कही न थी। उसे तो इस बात पर भरोसा ही न आया। बैसले ने स्विडनबर्ग को पत्र लिखकर पूछा, 'मैं तो बहुत ही चकित भी ही चकित भी हूं और साथ में हैरान भी क्योंकि मुझे नहीं मालूम किं आपका अध्यात्म के जगत से क्या मतलब है। मुझे नहीं मालूम कि आपने खबर सुनी है, आपका इससे क्या मतलब है। लेकिन एक बात सुनिश्चित है कि मैं आप से मिलने की सोच ही रहा था - और यह बात मैंने किसी से कही भी नहीं है। मैं फलां-फलां तारीख को आपसे मिलने आऊंगा, क्योंकि मैं भ्रमण के लिए जा रहा हूं और तीन चार महीने के बाद ही मैं आपके पास आ सकूंगा।' स्विडनबर्ग ने उसे लिखा, 'वैसा संभव नहीं है, क्योंकि अध्यात्म के जगत में मैंने खबर सुनी है कि ठीक उसी दिन मैं मर जाऊंगा।' और ठीक उसी दिन उसकी मृत्यु हो गई। - ऐसे ही एक बार स्विडनबर्ग अपने कुछ दोस्तों के साथ कहीं ठहरा हुआ था और अचानक वह चिल्लाने लगा, ' आग— आग!' स्विडनबर्ग के दोस्तों को कुछ समझ ही नहीं आया कि क्यों चिल्ला रहा है। लेकिन उसके आग – आग चिल्लाने पर वे वहां से भाग खड़े हुए। लेकिन बाहर जाकर देखते हैं तो वहां पर कहीं कोई आग इत्यादि न लगी थी, कुछ भी न था बस वहा पर एक छोटा सा समुद्र के किनारे पर बसा हुआ गाव था। उसके दोस्तों ने स्विडनबर्ग से पूछा कि वह आग - आग क्यों चिल्लाया और स्विडनबर्ग तो पसीने से ऐसे तरबतर हो रहा था और ऐसे कांप रहा था जैसे कि जहां वे ठहरे थे, वहीं पर आग लगी हुई हो। थोड़ी देर बाद वह बोला, 'कोई तीन सौ मील दूर एक शहर में बहुत जोर की आग लगी हुई है।' उसकी बात में कितनी सचाई है, यह जानने के लिए एक घुड़सवार को तुरंत वहां से रवाना किया गया। और जब घुड़सवार ने आकर बताया कि वहां पर आग लगी हुई है, तब कहीं जाकर उसके दोस्तों को भरोसा आया कि स्विडनबर्ग ठीक ही कह रहा था। वहां उस शहर
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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