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________________ कुछ पता न हो, लेकिन फिर भी सयोगवशांत वह जानता है उसके हाथ यह बात लग गई है कि उसका उपयोग कैसे करना, और वह उसका उपयोग करने लगता है। सभी चमत्कारों का यह एक आधारभूत सूत्र है: 'आधारभूत प्रक्रिया में छिपी अनेकरूपता द्वारा रूपांतरण में कई रूपांतरण घटित होते हैं।' अगर आधारभूत प्रक्रिया बदल जाती है, तो उसका प्रकट रूप भी बदल जाता है। शायद तुम्हें उस नियम की आधारभूत प्रक्रिया का पता न हो, तुम केवल चमत्कार का प्रकट रूप ही देखते हो। क्योंकि तुम केवल प्रकट रूप ही देख सकते हो, तुम उसमें गहरे जाकर उसके भीतर छिपी हुई प्रक्रिया को नहीं देख पाते हो, नियम की आधारभूत अंतर्धारा को नहीं देख पाते हो, तो तुम सोचने लगते हो कि कोई चमत्कार घटित हुआ है। चमत्कार जैसी कोई चीज होती ही नहीं है। उदाहरण के लिए, पश्चिम के रसायन-शास्त्रियों ने साधारण धात को सोने में बदल देने के लिए सदियों –सदियों तक बहुत कठोर श्रम किया। कुछ ऐसे विवरण भी मिले हैं जिससे मालूम होता है कि उनमें से कुछ को सफलता भी मिली है। अभी तक वैज्ञानिक इस बात को हमेशा अस्वीकार करते आए थे, लेकिन अब स्वयं विज्ञान ने इसमें सफलता पा ली है। अब उसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि अब हम उस प्रक्रिया को जानते हैं। भौतिक –वैज्ञानिकों का कहना है कि सारा जगत अणुओं के जोड़ से बना है, और अणु इलेक्ट्रांस से बने हैं। तो फिर सोने और लोहे के बीच क्या अंतर है? यथार्थ में तो कोई अंतर नहीं है, दोनों तत्व इलेक्ट्रांस से, विदयुत कणों से मिलकर बने हैं। तब फिर क्या अंतर है? फिर वे एक दूसरे से भिन्न क्यों हैं? लेकिन सोना और लोहा दोनों एक-दूसरे से भिन्न हैं। और भेद क्या है? भेद केवल संरचना में है, आधारभूत तत्व में कोई भेद नहीं है। कई बार इलेक्ट्रास ज्यादा होते हैं, कई बार कम होते हैं इससे ही भेद पड़ता है। मात्रा का भेद होता है, लेकिन तत्व तो वही होता है। संरचना अलग-अलग हो सकती है। एक ही तरह की ईंटों से कई तरह के भवन बन सकते हैं, ईंटें एक जैसी होती हैं। उन्हीं ईंटों से गरीब की कुटिया बन सकती है और उन्हीं ईंटों से राजा का महल खड़ा हो सकता है -ईंटें वही होती हैं। आधारभूत सत्य एक है। अगर चाहो तो कुटिया महल में परिवर्तित हो सकती है और महल कुटिया में परिवर्तित हो सकता है। यह पतंजलि का आधारभूत सूत्र है, 'आधारभूत प्रक्रिया में छिपी अनेकरूपता द्वारा रूपांतरण में कई रूपांतरण घटित होते हैं।' इसलिए अगर आधार में निहित प्रक्रिया समझ में आ जाए, तो तुम उन बातों को करने में सक्षम हो सकते हो जिन्हें सामान्य व्यक्ति नहीं कर सकते हैं। 'निरोध, समाधि, एकाग्रता-इन तीन प्रकार के रूपांतरणों में संयम उपलब्ध करने सें-अतीत और भविष्य का ज्ञान उपलब्ध होता है।'
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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