SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 117
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तुम संपूर्ण अस्तित्व के साथ, परमात्मा के साथ एक हो गए। क्योंकि जब तुम अपने में गहरे जाते हो तो वहां शून्यता और मौन ही होता है और परमात्मा भी परम मौन है। तब फिर दो मौन अलगअलग नहीं रह सकते - वे एक-दूसरे में मिलकर एक हो जाते हैं। जब तुम स्वयं में गहरे उतरते हो और परमात्मा अनेक अनेक रूपों में, संसार में अनेक अनेक माध्यमों से वापस आ रहा होता है, उसी बीच तुम्हारा परमात्मा से मिलना हो जाता है, और तुम परमात्मा के साथ एक हो जाते हो। योग का यही अर्थ है : एक हो जाना। योग का अर्थ है परमात्मा के साथ एक हो जाना। आज इतना ही। प्रवचन 66 - तुम यहां से वहां नहीं पहुंच सकते प्रश्नसार: 1- मैं हमेशा एक ही जैसे प्रश्न बार-बार क्यों पूछती हूं? — 2. मुझे आपके प्रवचनों में आज तक एक भी विरोधाभास नहीं मिला। क्या मुझमें कुछ गलत है? 3- तुम यहां से वहां नहीं पहुंच सकते। 4- क्या स्वच्छ होने की प्रक्रिया मन की झलकी को नए रूप देगी? 5. मेरा शरीर रोगी है, मेरा मन भोगी है, और मेरा हृदय करीब-करीब योगी है। क्या मेरे इस जन्म में संबुद्ध होने की कोई संभावना है?
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy