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________________ आठवां प्रश्न : मुझे पागल बनाना आपको अच्छी तरह आता है। अब बुद्धत्व भी पर्याप्त न रहा। नहीं उसे अचानक ही होना है वरना हम चूक जाएंगे कुछ! यदि मुझे कभी ईश्वर मिला तो मैं उसे गोली मार दूंगा आप मुझ से संतुलन बनाए रखने की आशा कैसे करते हैं जब आप पहले तो जोर देते हैं बुद्धत्व को बिलकुल भूल जाने पर स्वाभाविक रहने पर और अगर कुछ करना ही है तो वह है धैर्य का अभ्यास और फिर अचानक मुझे एक चरण में ही सात चरण कूद जाने है- साहसी होना है और छलांग लगा देनी है? क्या यह सब इसीलिए है कि हम एक घोर निराशा में डूब जाएं? अवश्य ही! और मैं भी तुम से यही कहूंगा कि जब भी तुम्हारा ईश्वर से मिलना हो, तो उसे गोली मार देना, क्योंकि वही अंतिम अवरोध होगा। तुरंत उसे गोली मार देना, ताकि तुम अकेले ही बच रहो अपने अकेलेपन में, अन्यथा वही बन जाएगा एक संसार, एक अनुभव। और तुम ठीक समझे, सारी बात है तुम्हें पागल कर देने की। इतने पागल हो जाओ कि तुम थक जाओ अपने पागलपन से और अचानक छलांग लगा दो उसके बाहर; वरना तो तुम कभी छलांग नहीं लगाओगे। यदि तुम अपने पागलपन में चैन से हो तो कैसे तुम बाहर आओगे उससे? तो मैं सारी स्थिति को इतनी निराशाजनक बना दूंगा, इतने गहनरूप से निराशाजनक, कि तुम अपने आवरण से बाहर आ जाओ-और तुम मुक्त हो। अंतिम प्रश्न: मैने परम शून्य केंद्र को अनुभव कर लिया है जहां से सारा अस्तित्व आता है और साथ ही उस आनंद को भी जिसकी आप बात करते हैं यदि मैं पूछं........
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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