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________________ समृद्ध होने का अर्थ है धन का मूल्य न रह जाना, तब धन मूल्यहीन हो जाता है। जो घर तुम चाहते थे, तुम्हारे पास है, जो कारें तुम चाहते थे, तुम्हारे पास हैं। तुम्हारे पास सब कुछ है जो तुम चाहते थेअब धन कुछ नहीं, मात्र एक गिनती है। तुम गिनती बड़ी करते जा सकते हो तुम्हारे बैंक बैलेंस मेंपर उपयोग कुछ नहीं है। तब अचानक ही आशा मर जाती है और अचानक ही व्यक्ति पाता है कि मैंने पाया कुछ भी नहीं है। यह समृद्ध व्यक्ति, जिसकी बात मैं तुम से कह रहा था, सचमुच ही समृद्ध था। और वह इतना ऊब गया अपने धन से कि किसी प्रज्ञावान पुरुष की खोज में वह अपने महल से निकल पड़ा; क्योंकि वह वास्तव में दुखी था, सचमुच पीड़ित था। वह थोड़ा आनंदित होना चाहता था। वह बहुत से संतों के पास गया, लेकिन कुछ बात न बनी। उन्होंने बहुत समझाया, लेकिन कोई भी उसे आनंद न दे सका। और वह आग्रह करता-वह बहुत समझदार आदमी रहा होगा-वह इस बात पर जोर देता : 'मुझे आनंद का अनुभव करा दो, तो मैं विश्वास करूंगा।' वह जरूर वैज्ञानिक-चित्त का रहा होगा। वह कहता, 'तुम मुझे बातों से ही नहीं बहला सकते। मुझे आनंद का अनुभव कराओ-कहां है वह। अगर मैं उसे अनुभव कर लूं केवल तभी मैं तुम्हारा शिष्य हो सकता हूं।' अब ऐसा गुरु खोज पाना बहुत कठिन है जो तुम्हें अनुभव करा सके। शिक्षक हैं, हजारों शिक्षक हैं, जो बातें कर सकते हैं आनंद के विषय में, लेकिन यदि तुम उनके चेहरों की ओर देखो तो तुम पाओगे कि वे तुम से ज्यादा दुखी हैं। यह अमीर व्यक्ति एक गांव में पहुंचा और लोगों ने उससे कहा, 'ही, हमारे गांव में एक सूफी संत है। शायद वह कुछ मदद कर सके। वह थोड़ा पागल है, मनमौजी है, तो जरा होशियार रहना उससे। बस जरा होशियार रहना. क्योंकि कोई नहीं जानता कि वह क्या कर बैठेगा। लेकिन वह है अदभुत-तुम जाओ उसके पास।' वह अमीर व्यक्ति गया; उसने उसे ढूंढा। वह झोपड़ी में नहीं था। लोगों ने कहा कि वह अभी-अभी जंगल की ओर चला गया है, तो वह भी वहां गया। सूफी संत बै था एक बड़े वृक्ष के नीचे, गहरे ध्यान में। अमीर व्यक्ति वहां गया, अपने घोड़े से नीचे उतरा। और वह आदमी सच में ही गहरे आनंद जान पड़ता था, बहत मौन, बहत शांत। उसके आस-पास की हर चीज तक शांत थी-पेड, पक्षी, सभी कुछ। बहुत शांत वातावरण था; सांझ उतर रही थी। वह अमीर सूफी संत के पैरों पर गिर पड़ा और बोला, 'मालिक, मैं आनंद पाना चाहता हूं। मेरे पास सब कुछ है-सिवाय आनंद के।' उस सूफी ने अपनी आंखें खोली और कहा, 'मैं तुम्हें आनंद दूंगा, तुम मुझे अपना धन दिखाओ।' बिलकुल ठीक है बात। यदि तुम उससे आनंद का अनुभव कराने को कहते हो, तो तुम अपना धन दिखलाओ। उसके पास घोड़े की पीठ पर रखी थैली में हजारों हीरे थे, क्योंकि उसने पहले से ही
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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