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________________ क्या होगा? ज्यादा से ज्यादा कोई छोटी-मोटी हड्डी टूट जाएगी, तीर्था की भांति । तो वे अस्पताल सकते हैं और उनकी मरहम पट्टी हो सकती है। लेकिन अगर तुम ऊंचाइयों पर चलते हो, तो खतरा बहुत ज्यादा होता है। क्योंकि तुम बुद्ध हो, इसीलिए तुम गिर गए हो इतने अज्ञान में, अंधकार की इतनी गहरी घाटी में तो इसे लेकर हताश मत हो जाना। यदि तुम घाटी में इतने गहरे उतर गए हो, तो यह बात केवल एक संकेत है कि फिर से तुम शिखरों पर पहुंच सकते हो। गिरने की संभावना शिखर पर होने की क्षमता के कारण ही घटती है और अच्छा है यह इसमें कुछ गलत नहीं है क्योंकि यह एक अनुभव है। तुम्हारा बुद्धत्व और निखर जाएगा। जब तुम गुजर जाते हो इस अंधकार और पीड़ा से, और जब तुम वापस घर आते हो, तो तुम वही नहीं रहोगे जैसे कि तुम गिरने के पहले थे। तुम्हारी सजगता की गहनता में अब एक अलग ही गुणवत्ता होगी : तुम पीड़ा से गुजरे हो और तुमने उसे जीया है। तुम ज्यादा होशपूर्ण होओगे तुम्हारी सजगता अब ज्यादा होशपूर्ण हो जाएगी-गहन, सघन, अकंप हो जाएगी। ऐसा हुआ एक बहुत समृद्ध व्यक्ति अपने धन से ऊब गया जैसा कि हमेशा ही होता है असल में यही कसौटी होनी चाहिए व्यक्ति के समृद्ध होने या न होने की। यदि व्यक्ि सचमुच ही समृद्ध है तो वह ऊब ही जाएगा धन से यदि वह ऊबा नहीं है तो वह दरिद्र ही है, हो सकता है उसके पास धन हो, लेकिन वह समृद्ध नहीं - क्योंकि समृद्ध तो जानता ही है कि जो कुछ भी उसके पास है उसे जरा भी संतुष्ट नहीं कर सका है। एक गहरी बेचैनी, रिक्तता बनी ही है, बल्कि अब वह और भी घनी हो जाती है- क्योंकि आशा भी टूट जाती है। गरीब आदमी सदा आशा रख सकता है कि कल अच्छा होगा। समृद्ध कैसे आशा रख सकता है? कल भी यही होने वाला है। आशा मर जाती है। उसके पास वह सब है जो मिल सकता है, कल कुछ और ज्यादा नहीं जोड़ देगा । एण्डू कार्नेगी जब मरा तो वह लाखों-करोड़ों डालर छोड़ कर मरा! कल और क्या बढ़ जाएगा? कुछ लाख और? लेकिन वह उन कुछ लाख डालरों का कोई उपयोग नहीं कर सकता, क्योंकि अभी भी वह नहीं जानता कि अपने धन का क्या करे। पहले ही उसके पास जरूरत से ज्यादा है। असल में जितना ज्यादा धन तुम्हारे पास होता है, उतनी ही कम कीमत होती है धन की धन की कीमत निर्भर करती है निर्धनता पर। गरीब व्यक्ति की जेब में पड़े एक रुपए की कीमत अमीर व्यक्ति की जेब में पड़े एक रुपए से बहुत ज्यादा होती है, क्योंकि गरीब व्यक्ति उसका उपयोग कर सकता है; अमीर व्यक्ति उसका उपयोग नहीं कर सकता है जितना ज्यादा धन तुम्हारे पास होता है, उतना ही कम मूल्य होता है उसका समृद्धि की एक सीमा होती है जहां कि धन का कोई मूल्य ही नहीं रह जाता, तुम्हारे पास हो कि न हो उससे कुछ अंतर नहीं पड़ता; तुम्हारा जीवन उसी तरह चलता रहता है।
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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