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________________ तुम रहस्यवादी कब्बाला से या मिस्र के प्राचीन गढ अध्यात्मवादियों से पूछो, वे कहते हैं कि व्यक्ति के सात शरीर होते हैं-शरीरों की सात परतें होती हैं। शरीर की वे सात परतें सात चरण बन जाती हैं। यदि तुम योगियों से पूछो, वे कहते हैं, व्यक्ति में सात केंद्र होते हैं। वे सात केंद्र सात चरण बन जाते हैं। कुछ भी हो, सात बहुत महत्वपूर्ण अंक मालूम पड़ता है। और तुम्हारा सामना बार-बार इस सात के अंक से होगा, लेकिन आधारभूत अर्थ वही है। दो संभावनाएं हैं : एक, तुम छलांग लगा देते हो, एक अचानक छलांग, जैसा कि झेन गुरु चाहते हैं कि तुम लगाओ-जैसी कि मैं सदा आशा रखता हूं कि तुम लगा पाओगे। छलांग में वे सातों चरण पूरे हो जाते हैं एक ही चरण में, लेकिन बहुत साहस की आवश्यकता होती है-न केवल साहस की वरन दुस्साहस की आवश्यकता होती है क्योंकि तुम अज्ञात में उतर रहे होते हो। भेद बड़ा है तुम्हारे और उस घाटी के बीच जहां कि तुम छलांग के बाद पहुंचोगे। तुम उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। यह है ज्ञात से अज्ञात में छलांग। यह कोई क्रमिक विकास नहीं है, एक विस्फोट है। दूसरी संभावना है इस अंतराल को सात में बांटने की-ताकि तुम धीरे – धीरे बढ सको, ताकि तुम्हारा चालाक मन, होशियार मन संतुष्ट हो सके। लोग मेरे पास आते हैं और मैं उनसे पूछता हूं 'क्या तुम बिना कुछ सोचे -विचारे संन्यास लेना चाहोगे, या कि तुम इस पर सोच-विचार करना चाहोगे?' बहुत कम ऐसा होता है कि कोई कहता है, 'मैं सोच-विचार से बिलकुल थक गया हूं।' मनीषा ने कहा था ऐसा जब वह आई थी। पहले दिन जब वह आई मेरे पास तो मैंने पूछा, 'क्या तुम सोच-विचार कर संन्यास लेना चाहोगी? क्या तुम पहले इसके बारे में सोचना चाहोगी, पक्का करना चाहोगी? या कि बिलकुल अभी तैयार हो तुम?' उसने कहा, 'मैं बिलकुल थक गई हूं सोच-विचार से।' तो कभी-कभार ऐसा होता है कि कोई कहता है कि एकदम थक गया हूं सोच-विचार से। करीबकरीब सभी के साथ ऐसा होता है कि वे कहते हैं, 'हम सोचेंगे।' और वे अवसर चूक जाते हैं, क्योंकि यदि तुम सोच-विचार करते हो, तो तुम पुराने ही बने रहते हो। यदि 'तुम' इस बारे में निर्णय लेते हो, तो यह बात छलांग न रही। यदि तुम्हारी बुद्धि पहले सुरक्षा अनुभव करती है, पूरी सुरक्षा का इंतजाम करती है, हर चीज समझने की कोशिश करती है तो यह पुराने व्यक्तित्व का ही रूप है। तब तुम्हारा अतीत इसमें सम्मिलित है। और संन्यास का अर्थ होता है अतीत को पूरी तरह गिरा देना, वह तुम्हारे अतीत का संशोधित रूप नहीं है। वह एक समग्र क्रांति है; वह एक आमूल रूपांतरण है। Trn . माग सुघरा हुआ तो जो कहते हैं, 'हम सोचेंगे,' वे कुछ चूक जाते हैं। वे फिर आते हैं। पहले वे सोचते हैं इस विषय में कुछ दिन, फिर वे आते हैं, फिर वे संन्यास लेते हैं। लेकिन संभावना बहुत थी, बहुत कुछ उपलब्ध था। वे उसे चूक जाते हैं। यदि तुम छलांग लगा सकते हो, तो लगा दो छलांग। यदि तुम धीरे-धीरे बढ़ना चाहते हो तो तुम धीरे – धीरे बढ़ सकते हो, लेकिन तुम कुछ चूक जाओगे।
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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