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________________ का हिस्सा पतला हो गया है और नीचे का हिस्सा बहुत मोटा और भारी हो गया है। वह विकृत हो गया है। उसका चेहरा करूप हो गया है। तुम देख सकते हो कि भला उसने स्वयं को खूब सताया हों लेकिन वह सजग नहीं हआ है; बल्कि पीड़ा के प्रति संवेदनशून्य हो गया है, अभ्यस्त हो गया है, प्रभावशून्य हो गया है। अब पीड़ा उसे उद्विग्न नहीं करती। इसके द्वारा होश पाने की बजाए उसने होश खो दिया है। तो ध्यान रहे, ये सब विधियां हैं. दृश्य और द्रष्टा के बीच भेद करना; सत्य और असत्य के बीच भेद करना-ये सब केवल विधियां हैं। लक्ष्य है सजगता। 'सत्य और असत्य के बीच भेद करने के सतत अभ्यास द्वारा अज्ञान का विसर्जन होता है।' संबोधि की परम अवस्था उपलब्ध होती है सात चरणों में। पतंजलि क्रमिक विकास में विश्वास करते हैं। वे कहते हैं, लक्ष्य तक सात चरणों में पहुंचा जाता है। मैं कहता हूं कि एक चरण में पहुंचा जाता है, लेकिन पतंजलि उसी एक चरण को सात हिस्सों में बांट देते हैं ताकि तुम्हारे लिए आसानी हो जाए, और कुछ भी नहीं। तुम एक छलांग में पार कर सकते हो छह फीट, सात फीट, या तुम उसी अंतराल को सात चरणों में पार कर सकते हो। पतंजलि छलांग में विश्वास नहीं करते, क्योंकि वे जानते हैं कि तुम कमजोर हो; तुम छलांग लगा नहीं पाओगे। तुम्हें राजी किया जा सकता है-असल में फुसलाया जा सकता है-धीरे – धीरे छोटे कदम उठाने के लिए। तुम छोटे चरण उठा सकते हो, क्योंकि छोटे चरणों के साथ तुम आश्वस्त हो सकते हो कि कोई खतरा नहीं है। छलांग खतरनाक होती है, क्योंकि तुम नहीं जानते कि कहां पहुंचोगे तुम। एक छोटा कदम तुम देख सकते हो आस-पास और सुरक्षित अनुभव कर सकते हो धीरे – धीरे तुम कदम बढ़ा सकते हो; और तुम आश्वस्त हो कि यदि कुछ गड़बड़ हो जाती है तो तुम सदा पीछे लौट सकते हो, यह केवल छोटे से अंतराल की ही बात है। लेकिन छलांग वापस पीछे नहीं लगा सकते–यदि कुछ गड़बड़ हो जाए तो। छलांग एक आमूल परिवर्तन है, आत्यंतिक बदलाहट है। पतंजलि जब भी कुछ कहते हैं तो सदा तुम्हारा खयाल रखते हैं। अब-तत्क्षण-सजगता उपलब्ध करने का ढंग समझाने के तुरंत बाद ही वे कहते हैं, 'संबोधि की परम अवस्था उपलब्ध होती है सात चरणों में।' इसलिए चिंतित मत होना, भयभीत मत होना तुम धीरे -धीरे बढ़ सकते हो! ये सात चरण क्या हैं? यह अंक 'सात' बहुत महत्वपूर्ण है। यह सब से ज्यादा महत्वपूर्ण अंक जान पड़ता है। बहुत मार्गों से और बहुत ढंगों से यह अंक बार-बार सामने जाता है। यदि तुम गरजिएफ से पूछो, वह कहता है कि सात प्रकार के व्यक्ति होते हैं। वे सात प्रकार सात चरण हैं। यदि
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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